Thursday, October 24, 2013

फ़ेसबुक प्रबंधन से अपील


फ़िरदौस ख़ान
यह देख कर बहुत दुख होता है कि इंसान ने शक्ल-सूरत तो इंसान वाली पाई है, लेकिन आज भी उसके अंदर ख़ूंख़ार जानवर बसा हुआ है... आज हमने फ़ेसबुक पर एक तस्वीर देखी, जो पाकिस्तान की मस्जिद में हुए बम विस्फ़ोट की है... फ़ेसबुक पर इस तस्वीर को मंदिर बताया जा रहा है... और बम विस्फ़ोट में मरने वाले मुसलमानों को हिंदू... साथ ही कहा जा रहा है कि मुसलमानों ने हिदुओं को काटा है...

हैरानी इस बात पर भी है कि पढ़े-लिखे समझदार हिंदू भाई इसे शेयर कर रहे हैं... क्या आपने तस्वीर को ध्यान से देखा कि यह मंदिर या मस्जिद...? दरअसल, ऐसे मामलों में कुछ लोग बिना-सोचे समझे अपने दिलों की भड़ास निकाल लेते हैं... बिना सच को जानें... क़ाबिले-ग़ौर है कि बांग्लादेश में हुए दंगों से दौरान कुछ मुसलमानों से भी ऐसा ही क्या था... बुद्धों की लाशों को मुसलमानों की लाशें बताया था... इसी तरह अन्य़ मुस्लिम देशों में मरने वाले मुसलमानों को बांग्लादेश में मारे गए मुसलमान कहकर नफ़रत फैलाने की कोशिश की थी...

सभी हिंदू भाइयों से हमारा अनुरोध है कि भाई इस तस्वीर में मरने वाले भी ’मुसलमान’ हैं... और ’मारने वाले’ भी... इस वक़्त तो दुनिया भर में मुसलमान ही मुसलमानों के ख़ून के प्यासे हो रहे हैं...

मुसलमान भाइयों से भी इल्तिजा है कि वो भी ऐसी झूठी अफ़वाहों को सच मानकर, नफ़रत को हवा न दें...

मुसलमान, मुसलमान को मारे... हिंदू को मारे या किसी और को... या फिर हिंदू मुसलमान को मारे... इस सबके बीच मौत तो सिर्फ़ इंसान और इंसानियत की ही होती है... क्या हम मिलजुल कर नफ़रत की इस खाई को पाट नहीं सकते हैं...? क्या हम खु़दा के बनाए इंसान और उसकी आने वाली नस्लों के लिए कोई बेहतरीन मिसाल पेश नहीं कर सकते...?
आप सबसे ग़ुज़ारिश है कि जवाब ज़रूर दें...

फ़ेसबुक प्रबंधन से अपील 
फ़ेसबुक को ऐसे पेजों पर पाबंदी लगानी चाहिए, जो नफ़रत फैलाने का काम करते हैं... चाहे ये पेज मुसलमानों के हों या फिर हिंदुओं के...