सियासी दल चुनाव के क़रीब आते ही अपने नेताओं की छवि सुधारने के लिए विदेशी कंपनियों को अरबों रुपये देते हैं... ज़ाहिर है, जो पार्टियां ऐसा करती हैं, जनता के बीच उनके नेताओं की छवि अच्छी नहीं होती... अब जनता जागरूक हो चुकी है, वह किसी विदेशी कंपनी के झांसे में आने वाली नहीं है...
कितना अच्छा होता, अगर इन सियासी दलों के नेता विदेशी कंपनियों पर अरबों रुपये लुटाने की बजाय ये पैसा अपने ही देश की ग़रीब जनता की भलाई के लिए ख़र्च कर देते...
फिर उन्हें अपनी छवि (फ़र्ज़ी) बनाने की ज़रूरत ही नहीं पड़ती... काश! इस मुल्क के नेताओं में इतनी समझ आ जाती...