फ़िरदौस ख़ान
भारत के कई इलाके ऐसे हैं, जहां के भूमिगत पानी में आर्सेनिक की काफ़ी ज़्यादा मात्रा है. इसकी वजह से इन इलाकों में उगने वाली फ़सलों में भी आर्सेनिक पाया जाता है...आर्सेनिक का सेहत पर बहुत ही बुरा असर पड़ता है...हालांकि ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने पूर्वी भारत में चावल और पानी को जहरीले आर्सेनिक से होने वाले ज़हरीले असर से बचाने का तरीक़ा खोज लिया है.
एक अनुमान के मुताबिक़ पूर्वी भारत और बांग्लादेश में सात करोड़ से अधिक लोग चावल और पानी की वजह इस ज़हर का शिकार हो जाते हैं. इन लोगों में वे किसान भी शामिल हैं जो सिंचाई के लिए प्रदूषित भूजल का इस्तेमाल करते हैं. बंगाल डेल्टा के हर 100 लोगों में से एक व्यक्ति आर्सेनिक के ज़हरीले असर की वजह से मौत के क़रीब होगा, जबकि 100 में पांच लोगों को इस ज़हर के अन्य लक्षण दिखाई देते हैं. बेलफास्ट स्थित क्वींस विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं ने दक्षिण एशिया के ऐसे हजारों लोगों के लिए आर्सेनिक मुक्त पानी उपलब्ध कराने के लिए कम लागत वाली तकनीक विकसित की है जो भूजल में इस ज़हर के उच्च स्तर से दो चार हैं.
एक अंतरराष्ट्रीय टीम की अगुवाई कर रहे क्वींस विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं ने कोलकाता के निकट कशिंपोर में एक परीक्षण संयंत्र भी स्थापित किया है जो ग्रामीण समुदायों को रसायन मुक्त भूजल शोधन तकनीक मुहैया कराता है, ताकि उन्हें पानी और खेती के लिए ज़रूरी साफ़ पानी मिल सके. विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक और परियोजना के समन्वयक भास्कर सेनगुप्ता के मुताबिक़ दक्षिणी एशिया में बीमारी के अनेक मामलों के पीछे आर्सेनिक का ज़हर है. इसकी वजह से कैंसर के मामले भी बढ़ रहे हैं. आर्सेनिक के उच्च स्तर से प्रदूषित भूजल का ज़हरीलापन ख़त्म करने के लिए कम लागत वाली तकनीक कृषि के लिए एक चुनौती है. इस तकनीक को इलाके के लिए उपयुक्त करार देते हुए उन्होंने कहा कि क्वींस द्वारा विकसित किया गया यह तरीका एकमात्र तरीक़ा है जो पर्यावरण के अनुकूल है इस्तेमाल करने में आसान है और सस्ती दर पर ग्रामीण समुदाय के लिए उपलब्ध है.
अलबत्ता उम्मीद की जा सकती है कि आने वाले में वक़्त में लोगों को आर्सेनिक के ज़हरीले असर से निजात मिल सकती है...सरकार को भी चाहिए कि वह लोगों को इस ज़हर के असर से बचाने कि दिशा में कारगर क़दम उठाए...
3 Comments:
अलबत्ता उम्मीद की जा सकती है कि आने वाले में वक़्त में लोगों को आर्सेनिक के ज़हरीले असर से निजात मिल सकती है...सरकार को भी चाहिए कि वह लोगों को इस ज़हर के असर से बचाने कि दिशा में कारगर क़दम उठाए...
सही कहा आपने...ऐसा ही होना चाहिए...
वैज्ञानिकोa द्वारा विकसीत किए गए इस तरीके को सरकार के द्वारा जनसामान्य को बचाया जा सके , तभी इससे फायदा हो सकता है।
achcha lekh hai...janta aur sarkar dono ko milejule prayaas karne honge iske liye.
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