फ़िरदौस ख़ान
आज चीन लोक गणराज्य की स्थापना की 60वीं वर्षगांठ हैं और नए चीन के राजनयिक कार्य चलाने की 60वीं वर्षगांठ भी...पहली अक्टूबर 1949 में सर्वगीय अध्यक्ष माओ च्ये तुंग ने पेइचिंग में चीन लोक गणराज्य की स्थापना का ऐलान किया था. साथ ही घोषणा की कि चीन समानता, आपसी लाभ व दूसरों के देशों की प्रादेशिक अखंडता का सम्मान करने वाले सभी देशों की सरकारों के साथ राजनयिक संबंध स्थापित करना चाहता है. पिछले 60 बरसों में चीन के साथ राजनयिक संबंध स्थापित करने वाले देशों की संख्या पहले के 18 से बढ़कर 171 हो गई है.
यह अफ़सोस की बात है कि... भारत और चीन के बीच जंग हुए क़रीब 47 साल बीतने के बावजूद वहां के बाशिंदे आज भी भारत को अपना सबसे बड़ा दुश्मन मानते हैं...हालांकि इन तल्खियों का का दावा करते हुए ब्रिटिश अखबार संडे टाइम्स ने यह भी बताया है कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) में शामिल लोगों की अपने मुल्क के प्रति निष्ठा कम हो रही है...
हाल ही में चीन के राष्ट्रीय दिवस के मौके पर लिखे अखबार के एक लेख में कहा गया है, ‘बीजिंग में हर कोई अपने विदेश मंत्रालय की तरह रेशमी जुबान नहीं बोलता है. वहां ज्यादातर जिस दुश्मन की बात होती है, वह भारत ही होता है.’ रिपोर्ट के मुताबिक चीन में सेंसर के बावजूद तिब्बत के पठार को बचाने के लिए भारत के साथ जंग के मुद्दे के नफ़ा-नुक़सान के मुख्तलिफ को लेकर इंटरनेट पर बेबाक चर्चा की इजाज़त दी जा रही है.
चीन में गणराज्य की स्थापना की 60वीं वर्षगांठ के मौके पर अखबार ने अपने लेख में लिखा है कि इस मौके पर आधुनिक चीन के इतिहास की सबसे भव्य परेड देखी जा सकती है. परेड में नई पीढ़ी के लड़ाकू विमानों, बैलिस्टिक मिसाइलों, टैंकों और राइफलों के प्रदर्शन का दर्शन होगा. अलबत्ता, इसे चीन का शक्ति प्रदर्शन कहना ग़लत न होगा...
चीनी विदेश मंत्री यांग च्ये छी ने कहा कि पिछले 60 सालों में चीन विभिन्न देशों के साथ घनिष्ठ सहयोग व जिम्मेदाराना रूख से विभिन्न अन्तरराष्ट्रीय विवादों को हल करने में भाग लेता आया है, चीन ने विश्व शान्ति, विकास व सहयोग कार्य के लिए महत्वपूर्ण योगदान किया है. चीन का राजनयिक कार्य चीन के शक्तिशाली होने के चलते निरंतर आगे कदम बढ़ा रहा है.
गौरतलब है कि जनवादी गणराज्य चीन जिसको प्रायः चीन से जाना जाता है, दुनिया में सबसे ज़्यादा आबादी वाला देश है और क्षेत्रफल की दृष्टि से इसका स्थान तीसरा है. इतने बड़े भूखंड पर स्थित होने के कारण इसके पड़ोसियों की संख्या भी अधिक है. उत्तर में रूस, कोरिया तथा मंगोलिया, पश्चिम में कजाकस्तान, भारतीय और पाकिस्तानी कश्मीर, अफ़ग़ानिस्तान तथा उत्तरी भारत दक्षिण में भारत, नेपाल तथा बर्मा तथा दक्षिण पश्चिम में थाईलैंड, कम्बोडिया तथा वियतनाम है. उत्तर-पूर्व में जापान मुख्य भूमि से दूर स्थित है. चीन ताईवान को अपना स्वायत्त क्षेत्र कहता है, जबकि ताईवान का प्रशासन खुद को स्वतंत्र राष्ट्र कहता है. 1949 के गृहयुद्ध में जीत मिलने के बाद समाजवादियों ने चीन की सत्ता पर अधिकार किया और ताईवान तथा उससे सटे क्षेत्रों पर पुराने शासकों का अधिपत्य हुआ. इसके बाद से मुख्य चीन को चीन का जनवादी गणराज्य तथा ताईवान को चीनी गणराज्य कहा जाता है. यहां की मुख्य भाषा चीनी है जिसका पांपरिक तथा आधुनिक रूप दोनों प्रयुक्त होता है. प्रमुख नगरों में पेइचिंग तथा शंगहाई का नाम आता है.
चीन की सभ्यता विश्व की पुरातनतम सभ्यताओं में से एक है. इसका चार हज़ार वर्ष पुराना लिखित इतिहास है. यहां तरह-तरह के ऐतिहासिक व सांस्कृतिक ग्रन्थ और पुरातन संस्कृति के अवशेष पाए गए हैं. दुनिया के अन्य राष्ट्रों की तरह चीनी राष्ट्र भी अपने विकास के दौरान आदिम समाज, दास समाज और सामन्ती समाज की मंजिलों से गुजरा था. ऐतिहासिक विकास के इस लम्बे दौर में, चीनी राष्ट्र की विभिन्न जातियों की परिश्रमी, साहसी और बुद्धिमान जनता ने अपने संयुक्त प्रयासों से एक शानदार और ज्योतिर्मय संस्कृति का सृजन किया, तथा समूची मानवजाति के लिये भारी योगदान भी किया. यह उन गिने चुने सभ्यताओं में एक है जिन्होंने प्राचीन काल में अपनी स्वतंत्र लेखन पद्धति का विकास किया. अन्य सभ्यताओं के नाम हैं- प्राचीन भारत (सिंधु घाटी सभ्यता), मेसोपोटामिया की सभ्यता, मिस्र और माया सभ्यता. चीनी लिपि अब भी चीन, जापान के साथ साथ आंशिक रूप से कोरिया तथा वियतनाम में प्रयुक्त होती है. पुरातात्विक साक्ष्यों के आधार पर चीन में मानव बसाव लगभग साढ़े बाईस लाख (22.5 लाख) साल पुराना है.
5 Comments:
कुछ समझ नहीं आया..... एक पत्रकारा और शायरा जो मुस्लिम है और मुस्लिमों के हक़ में आवाज़ बुलंद करने पर विश्वास रखती है वह उस चीन के गुण गा रही है जो उइगीर मुस्लिमों के नरसंहार के लिए ख़बरों में है??? हैरान हूँ....
आप खुद ही गूगल में सर्च कर के देख लें Chinese atrocities against Muslims
gud.....
thanx for sharing
हमें ab inconvenienti की ज़हनियत पर हैरानी हो रही है...हम पत्रकार हैं, इस नाते हर ख़बर को लोगों तक पहुंचाना हमारा काम है...इसमें हिन्दू-मुसलमान वाली कौन-सी बात है...सभी न्यूज़ चैनल और अख़बार इस ख़बर को प्रसारित/प्रकाशित कर रहे हैं...ख़ैर...इस बात को कोई पत्रकार ही समझ सकता है...
सचमुच, तो यह राज़ है लेकिन हमारी मीडिया तो इसे चीन का शक्ति परिक्षण बता बता कर हमारे नाक में दम कर रखा है. ये मीडिया भी न रातों-रात जिसको चाहे हीरो बना दे जिसको चाहे विलेन बना दे.
छह सौ से ज्यादा चीनी नागरिकों ने इस्लाम क़ुबूल किया- फ़िरदौस ख़ान Posted by आशीष कुमार 'अंशु'
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