दुनियाभर में शादी के नाम पर लड़कियों की ख़रीद-फ़रोख्त का सिलसिला जारी है... हालत यह है कि पूरी दुनिया में 'सभ्य' होने का ढोल पीटने वाले सऊदी अरब में भी लड़कियों को जानवरों की तरह बेचा और ख़रीदा जाता है.
सऊदी अरब में पिछले साल 12 साल की एक लड़की की मर्ज़ी के खिलाफ़ उसके परिवार वालों ने उसकी शादी उसके पिता के 80 वर्षीय चचेरे भाई से कर दी गई थी. बदले में उसके परिवारवालों को क़रीब साढ़े 14 हज़ार डालर मिले थे. इस ज़ुल्म के खिलाफ़ लड़की ने आवाज़ उठाई और रियाद के बुराइधा क़स्बे की एक अदालत में तलाक़ के लिए अर्ज़ी दाख़िल कर दी. लड़की की क़िस्मत अच्छी थी उसे तलाक़ मिल गई. राहत की बात यह भी है कि अब वहां की सरकार इस मसले पर पहली बार लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र तय करने पर गौर कर रही है.
मानवाधिकारों संगठनों ने भी लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 16 साल निश्चित करने की सिफ़ारिश की है. अब सरकार ने इस बारे में फ़ैसला लेने के लिए तीन समितियों का गठन किया है.
भारत में भी यह सिलसिला जारी है...
16 Comments:
मुझे लगता है की इसका कुछ असर हमारे देश में भी जरुर होगा।
हम लोग ही इनका विरोध कर सकते हैं क्योंकि सरकारें, कानून लागू करने वाले और नेता सिर्फ बातों तक ही सीमित रहते हैं. फिरदौस जी आप यूं ही इन के विरुद्ध लड़ती रहें हम सब आपके साथ हैं...
आगे तो आना ही होगा
saudi arab kabilai desh hai we sabhya ho hi nahi sakte.unka nechar hi hai ,garibo ke sath khilwad karna.
विरोध होना ही चाहिए। बधाई।
कब तक ये तिजारत चलती रहेगी इंसानी जिस्मों की?
यह बेहद निंदनीय है ! सादर
bahut achhi baat hai!
ऐसे लोगों का सार्वजनिक बहिष्कार और निन्दा अनिवार्य है । आपको बधाई ।
pata nahi kab tak hum aadim jamane mein jite rahenge..aadim soch ko lekar.......
हाँ, लफ्ज़ों के जज़ीरे की शहज़ादी हो.
12
साल उम्र ही क्या होती है ? इस पे दुःख नहीं होता -तकलीफ होती है -बेहद
वो खुशकिस्मत थी जो उसे रिहाई मिल गयी. पूरी दुनिया में यही खेल जारी है. मर्द कमसिन बच्चियों से शादी रचाने के ख्वाहिशमंद क्यों होते हैं, इस पर शोध होना चाहिए और उनका दिमागी इलाज होना चाहिए. निहायत शर्मनाक.
बहन फिरदौस निश्चय ही वोह लड़की भाग्यशाली है जो वर्तमान KSA शासक (एक उदार राजा) के काल में आई| अन्यथा, यहाँ भारत में ही, मुस्लिम पर्सनल ला के कुछ उपबंधों के चलते 18 से कम उम्र में विवाह को कानूनी दर्जा मिल जाता है|
आशा है कि सम्पूर्ण मुस्लिम समाज इस निर्णय को सही नज़रिए से देखेगा और सुधार कि ओर अग्रगामी होगा|
अब साथ ही शायद वो यह मानना भी छोड़ देंगे कि बहु विवाह विधवाओं कि सुविधा के लिए हैं, अपितु वो यह स्वीकार करने कि हिम्मत भी शायद जुटा लें कि अब यह प्रथा धनिकों इ वासना पूर्ती का माध्यम मात्र रह गई है|
अब तक मै इन्टरनेट के विभिन्न मंचो पर अन्य धर्मो की ही आलोचना किया करता था, आप को पढने के बाद अपने धर्म में मौजूद बुराइयों के विरुद्ध लिखने और बोलने की प्रेरणा मिलती है.
आशा है आप वहाबियो के फैलाव और उनकी संकीर्णता के बारे में भी लिखेंगी. ये लोग अपने petro dollars का इस्तेमाल संकीर्णता और आतंकवाद को फ़ैलाने में ज्यादा कर रहे है.
जहा तक भारत में लडकियों की खरीद फरोख्त कि बात है वे सरे राज्य के लोग इसमें ज्यादा संलिप्त है जहाँ स्त्रियों कि संख्या पुरुषो के अनुपात में कम है, ये राज्य आर्थिक रूप से तो सम्रिध्ह है परन्तु ये लोग मानसिक रूप से दिवालिये है, अक्सर हमारे झारखण्ड में ये लोग गरीब आदिवासियों कि शादी कि आड़ में खरीद फरोख्त करते पकडे जाते है.
झारखण्ड से बड़ी संक्या में आदिवासी लडकियों का पलायन NCR में होता है जहाँ ये कुछ पैसो के लिए घरेलु कामगार बन कर दलालों के माद्यम से जाती है, पर वहा पहुँच कर इनका हर तरह से शोषण ही होता है.
अगर आप न्यूज़ एजेंसी से जुडी है तो मै आशा करता हूँ कि आप इस बात को सही मंच पर रखेंगी.
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