Sunday, November 14, 2010

मधुमेह का बढ़ता ख़तरा

फ़िरदौस ख़ान
दुनियाभर में मधुमेह का ख़तरा लगातार बढ़ रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक़ इस समय दुनियाभर में 24 करोड़ 60 लाख लोग मधुमेह से पीड़ित हैं और वर्ष 2025 तक यह तादाद बढ़कर 38 करोड़ को पार कर जाएगी। अकेले भारत में क़रीब चार करोड़ मधुमेह के मरीज़ हैं और 2025 तक सात करोड़ होने की आशंका है। हर दसवें सेकेंड में मधुमेह से एक व्यक्ति की मौत होती है और तीसवें सेकेंड में एक नया व्यक्ति इसकी चपेट में आता है।

गौरतलब है कि हर साल 14 नवंबर को विश्व मधुमेह दिवस मनाया जाता है। 14 नवंबर को फ्रैडरिक बेंटिग का जन्मदिन है, जिन्होंने चार्लीज़ हर्बर्ट बेस्ट के साथ मिलकर 1921 में इंसुलिन की खोज की थी। उनके इस योगदान को याद रखने के लिए इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेषन (आईडीएफ) द्वारा 1991 से हर साल 14 नवंबर को विश्व मधुमेह दिवस मनाने की प्रथा षुरू की गई। इस दिन दुनिया के 140 देशों में कार्यक्रमों का आयोजन कर जनमानस को मधुमेह के प्रति जागरूक किया जाता है। हर साल इसकी थीम अलग रहती है। वर्ष 1991 की थीम इसकी थी-मधुमेह पर जनता को जागरूक करें। वर्ष 1992 में मधुमेह विश्वव्यापी एवं सभी उम्र की समस्या, 1993 में किशोरावस्था में मधुमेह की देखभाल, 1994 में बढ़ती उम्र मधुमेह का रिस्क फैक्टर है, इसे कम कर सकते हैं, 1995 में बिना जानकारी मधुमेह के मरीज़ का भविष्य ख़तरे में होगा, 1996 में इंसुलिन ही जीवन का अमृत है, 1997 में विश्वव्यापी जागरूकता ज़रूरी है, 1998 में मधुमेह मरीज़ों के अधिकार सुरक्षित हैं, 1999 में मधुमेह के कारण राष्ट्रीय बजट पर ख़तरा है, 2000 में सही जीवन शैली से रोकें मधुमेह को, 2001 में मधुमेह में करें हृदय की देखभाल, 2002 में मधुमेह में करें आंखों की देखभाल, 2004 में मोटापा छुड़ाएं, मधुमेह से बचें, 2003 में मधुमेह मरीज़ों को गुर्दे की ख़राबी पर जागरूक करें, 2005 में मधुमेह में पैरों की देखभाल ज़रूरी है, 2006 में बच्चों को मधुमेह से बचाएं, 2007 264 कदम चलें, 2008 में अब कुछ अलग कर दिखाने का समय है। बच्चों व किशोरों को मधुमेह से बचाएं और 2009 से 2010 तक मधुमेह की शिक्षा व रोकथाम से संबंधित है।

चिकित्सकों के मुताबिक़ मधुमेह तीन प्रकार का होता है, टाइप 1 डायबिटीज़, टाइप 2 डायबिटीज़ और गर्भावधि मधुमेह। यह एक असंक्रामक रोग है। इसमें रोग का प्रभाव जब शरीर के लिए लड़ने वाले संक्रमण, प्रतिरक्षा प्रणाली के ख़िलाफ़ होता है तो उसे टाइप 1 डायबिटीज़ कहा जाता है। टाइप 2 डायबिटीज़ सामान्य मधुमेह है। क़रीब 95 फ़ीसदी लोग इससे पीड़ित हैं। यह वृध्दावस्था में पाया जाता है। हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. केके अग्रवाल के मुताबिक़ 80 फ़ीसदी से अधिक टाइप 2 डायबिटीज़ के मामले मोटापे की वजह से होते हैं जो मधुमेह संबंधी मौत का कारण भी बनते हैं। बीएमआई और टाइप 2 डायबिटीज़ के बीच उतार चढ़ाव वाला संबंध है। सबसे कम ख़तरा उनमें होता है जिनका बीएमआई 22 किग्रा/एम2 होता है। अगर बीएमआई 35 किग्रा/एम2 से ज़्यादा होता हो तो उनमें मधुमेह का ख़तरा 61 साल की उम्र तक रहता है। यह ख़तरा बैठकर ज़िन्दगी बिताने वालों में बढ़ सकता है, जबकि व्यायाम करके इसमें कमी लाई जा सकती है। महिलाओं में 18 की उम्र और पुरुषों में 20 के बाद वज़न के बढ़ने से टाइप 2 डायबिटीज का ख़तरा बढ़ जाता है। द नर्सेज हेल्थ स्टडी में 18 की उम्र के बाद जिन महिलाओं का वज़न स्थिर यानी जिन्होंने 5 किग्रा वज़न या इससे कम बढ़ाया या फिर वज़न कहीं  ज़्यादा बढ़ाया, दोनों में तुलना की गई। जिन महिलाओं में वज़न 5 से 7.9 किग्रा बढ़ा उनमें डायबिटीज़ का ख़तरा 1.9 गुना बढ़ा और जिन महिलाओं में 8 से 10.9 किग्रा वज़न बढ़ा उनमें यह ख़तरा 2.7 गुना अधिक हो गया। इसी तरह पुरुषों पर भी अध्ययन किया गया। थोड़े से वज़न बढ़ने पर भी मधुमेह का ख़तरा बढ़ता देखा गया। वज़न बढ़ने का मतलब भविष्य में मधुमेह की समस्या के रूप में देखा गया। टाइप 2 डायबिटीज़ वाले उच्च आशंकित समूह वाले भारतीयों में वज़न धीरे-धीरे 30 किग्रा तक बढ़ जाता है यानी यह 60 से 90 पहुंच जाता है, जिससे सालों तक उन्हें डायबिटीज़ से जूझना होता है। इसके विपरीत वज़न में कमी करने से टाइप 2 डायबिटीज़ का ख़तरा कम होता है। मोटापे के साथ ही इंसुलिन में रुकावट व हाइपर इंसुलिनेमिया मोटापे से होता है और हाइपर ग्लाइसेमिया से पहले ही नज़र आ जाता है। मोटापे की वजह से ग्लूकोज गड़बड़ा जाता है और इंसुलिन रुकावट बढ़ जाती है जिसकी वजह से हाइपर इंसुलिनेमिया की समस्या होती है। हाइपर इंसुलिनेमिया में हीपेटिक वेरी लो डैनसिटी ट्राइग्लाइसराइड सिंथेसिस, प्लासमिनोजेन एक्टिवेटर इनहिबिटर-1 सिंथेसिस, सिम्पैथिक नर्वस सिस्टम एक्टिविटी और सोडियम रीएब्जार्पशन का घनत्व बढ़ने लगता है। इन बदलावों की वजह से मोटे लोगों में हाइपलीपीडेमिया और हाइपर टेंशन की समस्या होती है। कुछ महिलाओं में गर्भावधि मधुमेह गर्भावस्था में देर से विकसित होता है। हालांकि शिशु के जन्म के बाद यह प्रभाव ख़त्म हो जाता है। इस मधुमेह का कारण गर्भावस्था में हार्मोन्स का असंतुलन या इंसुलिन की कमी से होता है।

क़ाबिले-गौर है कि वर्ष 1924 में पहली बार इंसुलिन का इस्तेमाल मधुमेह पीड़ित 14 वर्शीय लोनार्ड थाम्सन के इलाज में किया गया। जिन मरीज़ों में इंसुलिन नहीं बनता, उनमें दवाइयों के ज़रिये इसे बनाया जाता है। जिन मरीज़ों में इंसुलिन बनता है, लेकिन काम नहीं करता, उनमें दवाइयों के ज़रिये इंसुलिन को सक्रिय किया जाता है।

चिकित्सकों का कहना है कि खून में शुगर की मात्रा अगर 126 प्वाइंट या इससे ज़्यादा है तो इसे मधुमेह माना जाता है, जबकि 98 प्वाइंट के नीचे हो तो इसे सामान्य माना जाता है। अगर शुगर की मात्रा 98 प्वाइंट और 126 प्वाइंट के बीच है तो इसे प्री-डायबिटीज़ स्टेज माना जाएगा। मधुमेह एक ऐसा रोग है जिसमें मेटाबॉलिज्म और हारमोन असंतुलित हो जाता है। यह एक कॉम्पलैक्स डिसऑर्डर है। थकावट, वनज बढ़ना या कम होना, बेहद प्यास लगना और चक्कर आना इसके लक्षण हैं। मधुमेह आनुवांशिक हो सकता है, लेकिन खान-पान का विशेष ध्यान रखकर इसे क़ाबू किया जा सकता है। बदलते लाइफ़ स्टाइल और फ़ास्ट फ़ूड की बढ़ती दीवानगी मधुमेह को बढ़ावा दे रही है। खाने में अत्यधिक वसा, कोल्ड ड्रिंक्स और एल्कोहल से मोटापा बढ़ रहा है, जिससे मधुमेह की आशंका बढ़ जाती है। एल्कोहल हारमोन असंतुलन को बढ़ाती है और इससे भी मधुमेह का ख़तरा पैदा हो जाता है।

मधुमेह के खात्मे का अभी तक कोई इलाज नहीं है। जो इलाज है वो सिर्फ़ इसे नियंत्रित करने तक ही सीमित है। इसलिए बेहतर है कि इससे बचा जाए। व्यायाम और खान-पान पर विशेष ध्यान देकर मधुमेह के ख़तरे को कम किया जा सकता है।

23 Comments:

Unknown said...

आपके लेख से मधुमेह के बारे में विस्तृत जानकारी मिली है. वाक़ई मधुमेह सेहत के लिए एक बड़ी चुनौती बना हुआ है.

Unknown said...

आपके लेख से मधुमेह के बारे में विस्तृत जानकारी मिली है. वाक़ई मधुमेह सेहत के लिए एक बड़ी चुनौती बना हुआ है.

सरफ़राज़ ख़ान said...

व्यायाम और खान-पान पर विशेष ध्यान देकर मधुमेह के ख़तरे को कम किया जा सकता है।

आपने सही कहा है.

सरफ़राज़ ख़ान said...

आपने सही कहा है. लेख से अच्छी जानकारी मिली है. आभार.

अजय कुमार झा said...

बहुत जी जानकारीपूर्ण आलेख है , फ़िरदौस जी । सामयिक और सार्थक

Anonymous said...

bahut achi jankari.dhanywad

VICHAAR SHOONYA said...

जानकारीपूर्ण लेख.

Unknown said...

आपके लेख से मधुमेह के बारे में विस्तृत जानकारी मिली है. सामयिक और सार्थक

असलम ख़ान said...

बहुत जी जानकारीपूर्ण आलेख है.

Taarkeshwar Giri said...

काफी अच्छी जानकारी उपलब्ध करवाया हैं अपने, सचमुच आज जरुरत हैं इसके बारे में जानने कि, क्योंकि जानकारी के अभाव के चलते ही लोग इसका शिकार हो जाते हैं,

लेकिन अगर शुरू से ही नियमित खान -पान पर योग पर ध्यान दिया जाय इस जैसी कई बिमारियों से बचा जा सकता हैं.

P.N. Subramanian said...

मधुमेह पर इतनी विस्तृत जानकारी देकर लाभान्वित किया है. आपका आभार.

कुमार राधारमण said...

हमारी लापरवाही चिकित्सा जगत की चुनौतियों को लगातार बढाए जा रही है। अफसोसजनक!
(टिप्पणीःआज शाम साढ़े छह बजे के लिए शिड्यूल आलेख में,मैंने आपके इस आलेख का संदर्भ दिया है।)

nilesh mathur said...

उपयोगी जानकारी मिली!

प्रवीण पाण्डेय said...

चिन्ताजनक है यह स्थिति।

शूरवीर रावत said...

बहुत दिनों बाद आपकी वापसी ब्लॉग पर हुयी है, अच्छा लगा. subject (पेशे) से हटकर आपके बेहतरीन आलेख आपके जूनून को दर्शाते हैं .......आपके इस जूनून को सलाम.

Satish Saxena said...

ईद के पाक मौके पर मैं आपको व आपके परिवार को हार्दिक शुभकामनायें देता हूँ !

ज्ञानचंद मर्मज्ञ said...

बहुत ही उपयोगी पोस्ट !
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ
www.marmagya.blogspot.com

Unknown said...

Nice article,Indians Need such type of awareness article regularly.
Thanks for writing this for diabetics.
we Dr.Alka Singhal & Dr.M.S.Singhal are trying to educate the community by various means since last 19 years our few efforts are-
• Conducted 48 Free Diabetes camps,(Free Consultation, Pathological test, medicines & Literature) Every year on World Diabetic Day individually & many on other days .
• Published book in Hindi “Madhumeha path pradarshika” in 1999 released by Governer of U.P.Late sh Surajbhan ji
• Free distribution of awareness & information Booklets numbering > 27,000
• Conducted telephonic epidemiological survey for the no. of diabetics in Uttarakhand ,between 2005-2008 ,6637respondents . published in newspapers.
• Regular publishing of awareness articles in news papers in Uttarakhand
• Many Radio Talks on the Diabetes at Akashvani –Najibabaad
• Now published a book on Diabetic diet in Hindi “Madhumeha Vyanjan Nirdeshika” released by Jagadguru shankracharya sh.Rajrajeshwar ji on the 13.11.10, www.ediabetes.co.in/blogs

​अवनीश सिंह चौहान / Abnish Singh Chauhan said...

बहुत सुन्दर
मेरे बधाई स्वीकारें

साभार
अवनीश सिंह चौहान
पूर्वाभास http://poorvabhas.blogspot.com/

Unknown said...

its really very useful
resume

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

बहुत ही रोचक व ज्ञानवर्धक लेख.

उपेन्द्र नाथ said...

bahoot hi achchhi jankari... aabhar

कविता रावत said...

ज्ञानवर्धन लाभकारी जानकारी प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत आभार

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