अभी-अभी हमने मेल देखा... हमारे एक शुभचिंतक ने हमें मेल के ज़रिये हमारा लेख 'पत्रकारिता बनाम स्टिंग ऑपरेशन' चोरी होने की ख़बर दी... यह आलेख जनवरी 2008 में बहुभाषी संवाद समिति 'हिन्दुस्थान समाचार' की स्वर्ण जयंती पर प्रकाशित स्मारिका में शाया हुआ था... इससे पहले भी हमारे लेख चोरी करके अख़बारों तक में प्रकाशित करा दिए गए... जब अख़बार के संपादक से बात की तो उन्होंने चोर लेखकों को प्रतिबंधित कर दिया...
"फिरदौस जी,
आपका आलेख "पत्रकारिता और स्टिंग ऑपरेशन" पढ़ा. आपके आलेख को पढते समय ऐसा महसूस हुआ कि मैंने इसे कहीं पढ़ा है. तब मैंने एक किताब 'वेब मीडिया और हिंदी का वैश्विक परिदृश', जोकि हिंद युग्म प्रकाशन से निकली है देखी. उस किताब में डॉ. राम लखन मीणा का एक लेख जो कि स्टिंग ऑपरेशन पर है, उसमें आपके लेख को पूरा का पूरा चोरी करके लिखा गया है. आप चाहें तो इस लेख को हिंद युग्म प्रकाशन की इस किताब में देख सकती हैं. कृपया इस बारे में मेरे विषय में किसी से न कहें. मेरा फ़र्ज़ था इसलिए आपको बता दिया. "
हम अपने इस शुभचिंतक का दिल से शुक्रिया अदा करते हैं...
हमारे ब्लॉग मेरी डायरी में सोमवार, 11 अगस्त 2008 को प्रकाशित हमारे लेख 'पत्रकारिता बनाम स्टिंग ऑपरेशन' को चोरी करके इलेक्ट्रोनिक मीडिया और स्टिंग ऑपरेशन:डॉ.राम लखन मीणा
शीर्षक से प्रकाशित किया गया है...
तस्वीर : गूगल से साभार
4 Comments:
जिन्होंने ऐसा किया उनके खिलाफ कार्रवाई होना चाहिये और सबको पता चलना चाहिये.
Net Par chori ko chhupaya nahi jaa sakta, ye baat Dr.Meena jo samajhna padega. Unhe swyam aage badhkar kshama mangni chahiye. Waise chori kahin bhi ho kaisi bhi ho nindaniy hai.
गलत कार्य किया गया..
दुखद. हिंदी युग्म से पूछना तो चाहिये ही.
Post a Comment