Wednesday, June 22, 2016

’भर दो झोली मेरी या मुहम्मद, लौट कर मैं ना जाऊंगा ख़ाली’

अमजद साबरी साहब !
आप ख़ाली हाथ नहीं गए... अपने साथ बहुत सी दुआएं और मक़बूलियत लेकर गए हैं... आपकी क़व्वालियां हमेशा लोगों की ज़ुबान पर रहेंगी... आपकी मख़मली आवाज़ का जादू उन्हें कभी आपसे जुदा होने नहीं देगा...
आप मरे नहीं, बल्कि अमर हो गए और आपके वहशी क़ातिलों पर हमेशा लानत बरसती रहेगी...

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