Wednesday, November 5, 2008

बराक हुसैन ओबामा ने रचा इतिहास


अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में करिश्माई डेमोक्रेट बराक हुसैन ओबामा ने जीत हासिल कर एक नया इतिहास रचा है. उन्होंने निर्वाचक मंडल के 338 मत हासिल कर लिए हैं, जबकि उनके रिपब्लिकन प्रतिद्वंद्वी जान मैक्केन को कुल 155 मत हासिल हुए हैं. इस तरह बराक ओबामा अमेरिका के 44वें राष्ट्रपति बन गए हैं. ग़ौरतलब है कि बराक आबोमा अमेरिका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति चुने गए हैं.

उनकी जीत इस मायने में महत्वपूर्ण है कि 45 साल पहले मानवाधिकार आंदोलन के प्रणेता मार्टिन लूथर किंग ने समानता का जो सपना देखा था वह आज सच हो गया. आमतौर पर भारत समर्थक माने जाने वाले 47 वर्षीय ओबामा अपने नाम और जाति के कारण जानते थे कि व्हाइट हाउस तक पहुंचने का उनका सफ़र कितना मुश्किल होगा. उन्होंने एक बार कहा भी था कि यह एक युगांतकारी परिवर्तन होगा. केन्याई पिता और श्वेत अमेरिकी माता की संतान ओबामा ने यह कर दिखाया. अमेरिकी जनता को उनमें वह सब नज़र आया जिसकी उसे इस कठिन वक्त में दरकार है.

हारवर्ड में पढे़ ओबामा ने 21 माह के कठिन प्रचार अभियान के बाद दुनिया का सबसे ताकतवर ओहदा हासिल किया. पार्टी का उम्मीदवार बनने के लिए उन्होंने पहले अपनी ही पार्टी की हिलेरी क्लिंटन और फिर वियतनाम युद्ध के सेना नायक जान मैक्केन को पीछे छोड़ते हुए अमेरिका में एक बडे़ बदलाव के संकेत के साथ व्हाइट हाउस की गद्दी संभाल ली. ओबामा की जीत ने अमेरिकी इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ दिया है. देश सदियों जातीय वैमनस्यता का कोपभाजन बना रहा. आज से 200 साल पहले जिस सामाजिक बुराई का अंत हुआ उसकी सुखद अनुभूति का भी यह जीत प्रतीक है.

शिकागो के एक सामुदायिक कार्यकर्ता ओबामा के लिए व्हाइट हाउस की पहली पायदान इलिओनिस की सीनेट रही. सन 1996 में इस जीत से लोकप्रिय हुए ओबामा सन 2004 में संघीय सीनेट तक जा पहुंचे. अपने सहज व्यक्तित्व से ओबामा जल्द मीडिया की सुर्खियां बनने लगे. उन्होंने इसे बहुआयामी स्वरूप दिया और लेखन में जल्द बुलंदी हासिल की. उनकी दो पुस्तकें द आडेसिटी ऑफ होप तथा ड्रीम फ्राम माई फ़ादर बेहद सराही गई. आठ साल से सत्ता के शीर्ष पद से दूर डेमोक्रेट पार्टी में ओबामा ने एक नई जान फूंक दी. उनका नामांकन वाकई पार्टी के लिए जादुई साबित हुआ.

हवाई में चार अगस्त 1961 को जन्में ओबामा के अरबी मायने ही सौभाग्यशाली है. उन्हें लेकिन इस बात का अफ़सोस रहेगा कि उनके कैरियर में अहम भूमिका निभाने वाली उनकी नानी अपने सपने को साकार होने से कुछ दिन पहले ही चल बसीं. जाति एवं धर्म के विवाद के साथ चुनावी अभियान में अपने को लगातार मज़बूत करते रहे ओबामा ने कई जगह अपनी टिप्पणियों एवं संकेतों में भारत के साथ ठोस सहभागिता की भावना का इजहार किया. यहां तक कि भारत के साथ असैनिक परमाणु समझौते के प्रति समर्थन का, हालांकि पहले वह इसका विरोध करते रहे.

लेकिन कई ऐसे मुद्दे हैं जिन्हें लेकर भारत में चिंता देखी गई. मसलन उनके आउटसोर्सिग के विरोध वाले रवैये पर. अगर ऐसा हुआ तो यह बेशक भारत के हक़ के ख़िलाफ़ जाएगा. उन्होंने प्रचार अभियान में कहा था कि जान मैक्केन के विपरीत मैं उन कंपनियों को कर में ढील नहीं दूंगा, जो बाहर के लोगों को नौकरियां देते है और वह लाभ उन कंपनियों को देना शुरू करूंगा जो यहां अमेरिका में रोगार सृजित करेंगे. चुनाव के लिए धन एकत्रित करने में रिकार्ड तोड़ चुके ओबामा 200 साल पहले ख़त्म हुए दासता के दर्द को नहीं भूले हैं. उन्होंने बेहिचक कहा कि अभी भी देश जातीय भेदभाव से पाक साफ़ नहीं हुआ है.

अपने प्रतिद्वंद्वी के मुक़ाबले अनुभवहीन कहे जाने वाले ओबामा ने सन 2003 में इराक पर हमले के समय से ही बुश प्रशासन की कड़ी आलोचना करनी शुरू कर दी थी. वह एक मोर्चे पर पूर्ववर्ती प्रशासन से बिल्कुल अलग है जब वह कहते है कि वह बिना शर्त ईरान से बातचीत करेंगे। प्रेरणादायक लफ़्ज़ों तथा बदलाव के नारे से जनता को आकर्षित करने में कामयाब रहे ओबामा बहस में भी मैक्केन पर भारी पड़े. बहस के पहले दौर से ही लगने लगा था कि व्हाइट हाउस उनका इंतज़ार कर रहा है. सवालों के कुशलता से जवाब देने से लेकर भावी प्रस्तावों में उनकी समझबूझ दिखाई दी. चाहे इराक़ का मुद्दा हो या फिर वित्तीय संकट अथवा स्वास्थ्य.

आतंकवाद से लड़ाई के मामले पर उनकी सोच है कि वह इसके लिए नई सहभागिता कायम करेंगे और एक साफ मिशन के साथ ही सैनिकों को लड़ाई के मैदान पर भेजेंगे. उन्होंने प्रचार अभियान में कहा था कि मैं इक्कीसवीं सदी के ख़तरों, आतंकवाद, परमाणु प्रसार, ग़रीबी, नरसंहार, जलवायु परिवर्तन तथा बीमारियों के ख़तरों से निपटने के लिए नई सहभागिता क़ायम करूंगा. शेयर बाजार में गिरावट से देश को उबारने के उनके दृष्टिकोण को पूर्व ज्वाइंट चीफ़ ऑफ स्टाफ्स के अध्यक्ष कोलिन पावेल ने भी ख़ूब सराहा. ओबामा की पत्नी वकील है और उनकी दो बेटियां हैं. दस वर्षीय मालिया और सात वर्षीय साशा.

1 Comments:

Anonymous said...

आख़िर मेहनत रंग लाई...अच्छी तहरीर है...

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