फ़िरदौस ख़ान
इतिहास की सबसे बुरी औद्योगिक त्रासदी कहे जाने वाले भोपाल गैस कांड को आज 25 साल पूरे हो गए हैं. इंसाफ़ की राह तकते-तकते पीड़ितों की आंखें पथरा गई हैं, लेकिन ढाई दशक बीतने के बाद भी उन्हें केवल कोरे आश्वासन ही मिल रहे हैं. इस कांड के इतने लंबे अरसे बाद भी भोपाल गैस कांड के पीड़ित सरकारी और प्रशासनिक अवहेलना के दंश को झेलने को मजबूर हैं.
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश के भोपाल शहर में 2 दिसम्बर 1984 की रात को एक खौफनाक औद्योगिक हादसा हुआ, जिसे भोपाल गैस कांड के नाम से जाना जाता है. भोपाल स्थित यूनियन कार्बाईड नामक कम्पनी के कारखाने से बेहद ज़हरीली मिथाइल आइसोनेट गैस का रिसाव हुआ जिससे हज़ारों लोगों की मौत हो गई थी और बेतादाद लोग अंधे हो गए थे. यह हादसा इतना खतरनाक था कि इसका असर आने वाली पीढ़ियों पर भी देखने को मिला. बच्चे अपंग पैदा हुए और कितने ही महिला-पुरुषों की प्रजनन क्षमता पर भी विपरीत असर पड़ा.
सरकार पर पीड़ितों की अनदेखी के आरोप लगते रहे हैं. आरोप यह भी है कि इतने भीषण हादसे के बावजूद दोषियों के खिलाफ कारवाई नहीं की गई. बताया जाता है कि हादसे के वक़्त एंडरसन यूनियन कार्बाइड कार्पोरेशन (यूसीसी) का मुख्य कार्यकारी अधिकारी था. इस हादसे में 3,500 लोगों की मौत उसी वक़्त मौत हो गई थी. स्वयंसेवी संगठनों के मुताबिक़ दुर्घटना के 72 घंटों के भीतर 10,000 लोग मौत का शिकार हो गए थे और अब तक क़रीब 25,000 इस हादसे की वजह से अपनी जान गंवा चुके हैं. सनद रहे कि यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड की स्थापना वर्ष 1969 में हुई थी. इसकी 50.9 फ़ीसद हिस्सेदारी यूनियन कार्बाइड के पास और 49.1 प्रतिशत हिस्सेदारी भारतीय निवेशकों के पास थी. इसमें सार्वजनिक क्षेत्र के वित्तीय संस्थान भी शामिल थे.
हालांकि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कल संसद में गैस कांड के पीड़ितों को प्रति संवेदना जताते हुए दिलासा दिया कि सरकार उनसे जुड़े हर पहलू पर ध्यान देगी. लेकिन सवाल यह है कि जब तक भोपाल गैस कांड के दोषियों को सज़ा नहीं मिल पाती, क्या पीड़ितों के परिजनों को सुकून मिल पाएगा, जो इस हादसे में अपने प्रियजनों को गंवा चुके हैं. कोरे आश्वासन पीड़ितों के ज़ख्मों पर मरहम का काम करेंगे या उनके ज़ख्मों को और हरा करेंगे. इसे सहज ही महसूस किया जा सकता है.
इस हादसे की 25वीं बरसी पर आज देशभर में प्रदर्शन निकाले जा रहे हैं और रैलियां की जा रही हैं.
8 Comments:
ये सब शर्मनाक है।
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अदभुत है हमारा शरीर।
अंधविश्वास से जूझे बिना नारीवाद कैसे सफल होगा?
बहुत शर्मनाक है ये सब।
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अदभुत है हमारा शरीर।
अंधविश्वास से जूझे बिना नारीवाद कैसे सफल होगा?
फ़िरदौस जी,
कुछ नही होगा ना किसी को कोई मदद मिलेगी और ना ही किसी को सज़ा
मोहतरमा फिरदौस साहिबा,
25 साल, यानी पीढी बदल गयी.
और इन्साफ?
अब तो उम्मीद भी टूट चुकी हैं.
ये इन्तज़ार...
आखिर कब तक !!!
???????
मुद्दतों के बाद आखिर अब सकून पाया है
याद क्यों दिलाते हो गुज़री ज़िन्दगी मुझको
शाहिद मिर्ज़ा शाहिद
ये शर्म की बात है सब के लिए ..... नेताओं के लिए, क़ानून व्यवस्था वालों के लिए, देश के लिए ............ २५ साल किसी को न्याय ना मिले और वो भी उनको जिस हादसे का गवाह पूरा शहर है ......... दरअसल सरकार चाहती ही नही ऐसा हो .......
lajwaab
जहरीली गैस के शिकार हुए ,अनाम अनजान देशवासियों, को श्रद्धांजलि !
khudgarj kursiyaan haath malti rahi,
basti begunahon ki jalti rahi
firdous ji behtreen likthi hai aap
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