ब्रिटेन के बर्मिंघम विश्वविद्यालय में क़ुरआन करीम के शायद सबसे पुराने वर्क़ मिले हैं. पन्नों की रेडियो कार्बन डेटिंग तकनीक की जांच से पता चला कि क़ुरआन के ये पन्ने कम से कम 1370 साल पुराने हैं. भेड़ या बकरी की खाल पर लिखे गए क़ुरान के इन पन्नों की जांच से कई तारीख़े मिलती हैं, इसलिए 95 फ़ीसद संभावना है कि ये पन्ने 568 ईस्वी से 645 ईस्वी के बीच के हैं.
शोधकर्ताओं ने इस बात की भी संभावना जताई है कि जिस शख़्स ने क़ुरआन के ये पन्ने लिखे होंगे, वो पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद (सल्लललाहु अलैहि वसल्लम) से मिला हो. विश्वविद्यालय में ईसाइयत और इस्लाम के प्रोफ़ेसर डेविड थॉमस कहते हैं, यह दस्तावेज़ हमें इस्लाम की स्थापना के कुछ सालों के अंतराल में पहुंचा सकते हैं. मुस्लिम मान्यताओं के मुताबिक़ पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) को अल्लाह का पैग़ाम 610 से 632 के बीच ही मिला था, जो क़ुरआन का आधार बना.
साभार बीबीसी
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एक अनूठी सी जानकारी से भरी पोस्ट.अच्छा लगा पढ़ कार
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