फ़िरदौस ख़ान
आख़िर एक बार फिर प्याज़ अवाम को महंगाई के आंसू रुला रही है. अभी दो दिन पहले देशभर की मंडियों में प्याज़ 20 रुपये किलो मिल रही थी. लेकिन जैसे ही ख़बरिया चैनलों ने चिल्ला-चिल्लाकर बताना शुरू किया कि देश की राजधानी दिल्ली में प्याज़ 80 से 100 किलो रुपये बिक रही है तो कुछ ही घंटों में देशभर में प्याज़ की क़ीमत आसमान छूने लगी. आड़तियों ने प्याज़ की जमाखोरी शुरू कर दी.
गौरतलब है कि देशभर में प्याज़ की क़ीमतें पिछले कुछ दिनों में भारी इज़ाफ़ा हुआ है. महाराष्ट्र का नासिक जो प्याज़ का सबसे बड़ा उत्पादन केंद्र है वहां भी प्याज़ 70 रुपये किलो बिक रही है, जबकि राजधानी दिल्ली में प्याज़ की क़ीमतें 80 से सौ रुपये तक पहुंच गई है. क़ाबिले-गौर है कि 1998 में प्याज़ की आसमान बढ़ी क़ीमतों ने दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी की सरकार को सत्ता से बाहर कर दिया था.
सनद रहे प्याज़ निर्यात की प्रक्रिया न्यूनतम निर्यात मूल्य के आधार पर नियंत्रित होती है. ये मूल्य नाफ़ेड दूसरी कंपनियों के साथ मिलकर तय करता है. प्याज़ के निर्यात के लिए निर्यातकों को नाफ़ेड से प्रमाण-पत्र लेना होता है. केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय कृषि सहकारिता वितरण फ़ेडरेशन (नाफ़ेड) से कहा है कि वो निर्यातकों को प्याज़ निर्यात करने की मंज़ूरी न दे. सरकार ने प्याज़ का न्यूनतम निर्यात मूल्य 525 डॉलर प्रति टन से बढ़ाकर 1200 डॉलर प्रति टन यानी क़रीब 54 हज़ार रुपए प्रति टन कर दिया गया है, ताकि नाफ़ेड से प्रमाण-पत्र व्यापारी देश से बाहर प्याज़ न भेज पाएं.
हालांकि सोमवार को बुलाई आपात बैठक में केंद्र सरकार फ़िलहाल प्याज़ का निर्यात बंद करने का फ़ैसला कर चुकी है. सरकार 15 जनवरी तक निर्यात परमिट जारी नहीं करेगी. कृषि मंत्री शरद पवार ने कहा है कि प्याज़ की क़ीमतें अभी कुछ दिनों तक और ऐसी ही बढ़ी हुई रह सकती हैं. और प्याज़ के दामों में अगले 3 हफ़्ते में सुधार होगा. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र और राजस्थान में मॉनसून में भारी बारिश की वजह से प्याज़ की पैदावार पर बुरा असर पड़ा है. वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा ने कहा कि प्याज़ के दाम जमाखोरी की वजह से बढ़े हैं.
पिछले माह नवंबर में हुई बेमौसम की बरसात की वजह से प्याज़ के उत्पादन में गिरावट आई है. देश की कई कृषि उत्पादन बाजार समितियों में प्याज़ का भाव 7100 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया है. प्याज़ उत्पादन के मामले में देश में महाराष्ट्र सबसे आगे है. यहां नासिक प्याज़ का सबसे बड़ा बाजार है. महाराष्ट्र की लासलगांव मंडी एशिया की सबसे बड़ी प्याज़ मंडी है. आज यहां प्याज़ के दाम 6299 रुपये प्रति क्विंटल, उमराने में 7100 रुपये, पिम्पलगांव में 6263 रुपये, मनमाड़ में 6450 रुपये और नंदगांव में 5000 रुपये हो गए हैं. फ़िलहाल हालात से निपटने के लिए पड़ौसी मुल्क पकिस्तान से प्याज़ मंगाई गई है. अमृतसर में सीमा शुल्क विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी मुताबिक़ पाकिस्तान से प्याज़ के कई ट्रक भारत आ चुके हैं. एक ट्रक में पांच से 15 टन प्याज़ है. पाकिस्तान से यहां तक प्याज़ के आने की लागत 18 से 20 रुपये प्रति किलोग्राम होती है, जिसमें सीमा शुल्क, उपकर, परिवहन और हैंडलिंग की लागत शामिल है.
नाफ़ेड ने राजधानी दिल्ली के बाशिंदों को राहत देने के लिए में प्याज़ की बिक्री 35 से 40 रुपए प्रति किलोग्राम की क़ीमत पर करने का ऐलान कर दिया है. राष्ट्रीय राजधानी में नाफ़ेड और एनसीसीएफ के 25 स्टोर हैं. देश के दूसरे राज्यों की अवाम का क्या होगा? प्याज़ के दाम बढ़ने से जहां होटल वाले परेशान हैं, वहीं गृहिणियों का बजट भी बिगड़ गया है. शाकाहारी तो बिना प्याज़ के कुछ दिन काम चला सकते हैं, लेकिन मांसाहारियों के लिए प्याज़ के बिना एक दिन भी गुज़ारना मुश्किल है.
फ़िलहाल, प्याज़ की बढ़ी क़ीमतों पर क़ाबू पाने की सरकारी कवायद जारी है. जमाखोरी के मद्देनज़र छापामारी के भी निर्देश दिए गए हैं. उधर दूसरी तरफ़ प्याज़ को लेकर सियासी रोटियां भी सेंकी जाने लगी है. भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी ने प्याज़ की क़ीमतों में हुई भारी वृद्धि के लिए संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार की आर्थिक नीतियों को मुख्य रूप से ज़िम्मेदार ठहराया है. उनका आरोप है कि सरकार द्वारा समय रहते एहतियाती क़दम न उठाए जाने की वजह से प्याज़ की क़ीमतें आसमान छू रही हैं. बहरहाल प्याज़ क्या-क्या रंग दिखाती है, देखते रहिए.
15 Comments:
हम्म सुन रहे हैं कि लोग प्याज काटने से पहले खरीदने में ही रो रहे हैं :)
अभी तो प्याज़ का नाम सुन कर भी रो रहे हैं ..खरीदना तो दूर की बात हो गयी है ..
रोना यही है कि अन्तिम मार गरीब पर.. दलाल मजे में, कहीं भी हों. चीनी फिर पचास. गन्ने के भाव कौन सा दो गुना हो गये.. लेकिन सरकार चला कौन रहा है. व्यापारी, उद्योगपति...या फिर राजनीतिक लोग. अब राजनीतिक लोग भी व्यापार करने लगे हैं और व्यापारी राजनीति इसलिये बस रोया ही जा सकता है..
प्याज का राजनैतिक कद बहुत बड़ा है।
GARIBO KI SARAKAR BIRAJ MAAN HAI,AMIRO KE AANSU NIKAL RAHE HAI,TO GARIBO KI AANSU KAUN POCHHEGA ? PYAJ HI NAHI,HAR CHIJ AAJ,,,,,,,MAHANGAI MAAR GAI ???????????
प्याज सबसे बड़ी नेता होने की पहचान बता रही है | क्योंकि बड़े नेते तो रुला-रुला कर ही कम करतें है |
देखो देश कितनी तरक्की कर रहा है पहले गरीब प्याज़ और रोटी खाते थे अब केवल अमीर ही खा सकेंगे
mehnagai ka buraa haal hai ...
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Lyrics Mantra
इस समय प्याज आँसुओं से हाथ मिला रहा है ।
अच्छा आलेख ।
सच में प्यार बहुत रुला रहा है आजकल .......दाम सुनकर प्याज लेने के हिम्मत नहीं हो रही है ... ..
राजनीतिक पार्टियों का एक दूसरे पर दोषारोपण करने के बजाय सार्थक पहल करने चाहिए.... लेकिन ये समय पर कहाँ जागने वाले होते है ... ये तो चुनाव के समय ही नींद से जागते है .......
पैसे वालों को तो कोई खास फरक नहीं पड़ता है वैसे भी कौन से उनको घर पर राशन पानी कि व्यवथा करनी पड़ती है बहुतेरे पड़े रहते है सेवा करने वाले लेकिन गरीब का क्या होगा? यही यक्ष प्रश्न उठ खड़ा होता है!
.सामयिक सार्थक प्रस्तुति के लिए आभार
बहुत सही लिखा है अब तो टमाटर भी इसी पंक्ति में आ गए हैं ....बच्चो को कहा है आज सब्जी खा लो बहुत प्यार से शाही सब्जी बनायी है ..बेंगन का भरता ...प्याज टमाटर दोनों शाही हैं अब भाई :)
बहुत ही बढ़िया आलेख...कभी गरीब रोटी और प्याज खाया करते थे...यह बात किस्सा बन कर रह जायेगी
फ़िरदौस साहिबा, सिर्फ़ प्याज़ ही नहीं, आज मंहगाई ने मध्यम वर्ग का जीना मुहाल कर रखा है.
मैने सुना है कि यह सब मेनका गांधी के कहने पर हो रहा है, जिससे लोग मांसाहार छोड कर शाकाहार की तरफ प्रवृत हों
नूतन वर्ष के अवसर पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं .....
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