Saturday, January 8, 2011

नाख़ुदा जिनका नहीं, उनका ख़ुदा होता है...

फ़िरदौस ख़ान
किश्तियां सबकी पहुंच जाती हैं साहिल तक
नाख़ुदा जिनका नहीं उनका ख़ुदा होता है
जी, हां इन्हीं शब्दों को सार्थक कर रहे हैं हरियाणा के हिसार ज़िले के गांव कैमरी में स्थित श्रीकृष्ण प्रणामी बाल सेवा आश्रम के संस्थापक बाबा दयाल दास। क़रीब 40 साल पहले बाबा दयाल दास को रास्ते में एक बेसहारा बच्चा मिला था, जिसे उन्होंने अपना लिया। और फिर यहीं से शुरू हुआ बेसहारा बच्चों को सहारा देने का सिलसिला। बाबा अनाथ और बेसहारा बच्चों को जहां माता और पिता दोनों का प्यार दे रहे हैं, वहीं मार्गदर्शक बनकर उनमें ज़िन्दगी की मुश्किल राहों में निरंतर आगे बढ़ते हुए जन सेवा की अलख जगा रहे हैं। एक छोटी-सी कुटिया से शुरू हुए इस आश्रम में आज क़रीब 150 लोग रह रहे हैं, जिनमें 63 लड़के-लड़कियां शामिल हैं। सभी एक परिवार की तरह रहते हैं।

बाबा बताते हैं कि पहले आश्रम का नाम निजानंद अनाथ आश्रम रखा गया था, लेकिन बाद में बदलकर श्रीकृष्ण प्रणामी बाल सेवा आश्रम कर दिया गया। वह कहते हैं कि वह नहीं चाहते कि किसी भी तरह बच्चों को 'अनाथ' होने का अहसास हो। आश्रम में हरियाणा के अलावा पंजाब, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और नेपाल तक के बच्चे हैं। बच्चों को घर जैसा माहौल देने की पूरी कोशिश की जाती है। बच्चों को स्कूल और कॉलेज की शिक्षा दिलाई जाती है। उच्च शिक्षा हासिल कर अनेक बच्चे आज बेहतर ज़िन्दगी जी रहे हैं। कई तो सरकारी सेवा में भी गए हैं। अध्यापक हरिदास बताते हैं कि यहां पर बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए हरसंभव प्रयास किए जाते हैं। बच्चों की सभी सुविधाओं का विशेष ध्यान रखा जाता है, ताकि उन्हें कभी किसी चीज़ की कोई कमी महसूस न हो।

रमेश प्रणामी बताते हैं कि दो साल की उम्र में वह इस आश्रम में लाए गए थे। यहां उन्हें परिवार का प्यार मिला। गांव के ही स्कूल से उन्होंने दसवीं कक्षा पास की। इसके बाद हिसार के दयानंद कॉलेज से स्नातक की। उन्होंने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से हिन्दी में एम.ए. किया। फिर पंजाब विश्वविद्यालय से नेचरोपैथी में डिप्लोमा किया। इस वक्त वह हिसार में श्रीकृष्ण प्रणामी योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा संस्थान चला रहे हैं। उनका विवाह हो चुका है। आश्रम से उन्हें इतना लगाव है कि किसी न किसी रूप में वह आज भी आश्रम से जुड़े हुए हैं। वह कहते हैं कि यह आश्रम तो उनका घर है, इससे वह कभी दूर नहीं हो सकते। वह बताते हैं कि दसवीं तक की शिक्षा उन्हें आश्रम ने ही दिलवाई। इसके बाद की शिक्षा उन्हें पार्ट टाइम जॉब करके पूरी की। मगर अब ऐसा नहीं है। आश्रम में लड़कों को उच्च शिक्षा दिलाई जाती है। वह बताते हैं कि जो लड़कियां पढ़ना चाहती हैं उन्हें भी उच्च शिक्षा दिलाई जाती है, लेकिन जो लड़कियां आगे पढ़ना नहीं चाहतीं, उनका विवाह करा दिया जाता है। अभी तक आश्रम की आठ लड़कियों का अच्छे परिवारों में विवाह कराया जा चुका है। ये लड़कियां अपनी ससुराल में ख़ुशहाल ज़िन्दगी बसर कर रही हैं।

आश्रम में रह रहे बच्चे किसी भी तरह आम बच्चों से अलग नहीं हैं। वे बाबा को अपना पिता और आश्रम को घर मानते हैं। मनमोहन, आदित्य, संदीप और हेमंत कहते हैं कि आश्रम ही उनका घर है और बाबा ही उनके पिता हैं। स्कूलों में पिता के नाम की जगह बाबा का ही नाम लिखा हुआ है। यहां उनकी सुख-सुविधाओं का अच्छे से ख्याल रखा जाता है। आश्रम में रह रही लड़कियां भी घर के काम-काज भी सीखती हैं। वे भोजन आदि बनाने में रसोइयों की मदद करती हैं, ताकि वे भी स्वादिष्ट भोजन बनाना सीख सकें। किरण, सोनिया, गीता और बबीता का कहना है कि उन्हें रसोइयों की मदद करना अच्छा लगता है, क्योंकि इससे उन्हें काफ़ी कुछ सीखने को मिलता है। आश्रम में रह रही बुज़ुर्ग महिलाओं के साथ उन्हें नानी-दादी का प्यार मिलता है। अनाथ बच्चों के अलावा आश्रम में उन बुजुर्ग़ों को भी आश्रय दिया जाता है, जिन्हें उम्र के आख़िरी पड़ाव में एक अदद छत की तलाश है। ये बुज़ुर्ग यहां आकर संतुष्ट हैं। फूला देवी कहती हैं कि यहां वह बहुत ख़ुश हैं।

बाबा दयाल दास बताते हैं कि आश्रम का सारा ख़र्च श्रध्दालुओं द्वारा दिए गए दान से चलता है। आश्रम में गऊशाला भी है, जिसमें क़रीब 60 गायें हैं। गायों की सेवा आश्रम में रहने वाले लोग ही करते हैं। आश्रम में अनाथ बच्चों के पालन-पोषण की सेवा का कार्य सुशीला प्रणामी कर रही हैं।

जहां ख़ून के रिश्ते साथ छोड़ जाते हैं, वहां बाबा दयाल दास जैसे जनसेवक आगे बढ़कर उनका हाथ थाम लेते हैं। सच ऐसे ही लोग तो सच्चे जनसेवक कहलाते हैं।

22 Comments:

rashmi ravija said...

फिरदौस,
बहुत बहुत शुक्रिया इस आलेख के लिए. समाज को बाबा दयाल दास जैसे लोगों की ही जरूरत है. अगर हर शहर में सिर्फ एक इनके जैसा कोई एक हो जाए तो कोई बच्चा सडकों पर ना भटके.
और सही कहते हैं,जहाँ चाह वहाँ राह...बाबा दयाल दास ने एक बच्चे को अपनाया....और उसके बाद इतने बच्चों की देखभाल की और उन्हें छत और एक सहारा दिया. रास्ते निकल ही आए.

बेसहारा बच्चों को एक सभ्य ज़िन्दगी देने से बढ़कर दूसरा पुण्य का कार्य नहीं.
नमन है उनके नेक कार्य को.

nilesh mathur said...

ऐसे ही लोगों की जरुरत है हमारे समाज को, बाबा जी को मेरा नमन!

प्रवीण पाण्डेय said...

बहुत सुन्दर उदाहरण प्रस्तुत किया आपने। इन स्तुत्य प्रयासों को प्रणाम।

राजेश उत्‍साही said...

रचनात्‍मक कार्य की रचनात्‍मक पोस्‍ट। बधाई।

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

प्रेरणाप्रद पोस्‍ट। हार्दिक आभार।

---------
पति को वश में करने का उपाय।

shikha varshney said...

वाह फिरदौस क्या उदहारण प्रस्तुत किया है .बाबा जी जैसा कर्म अगर कोई न भी कर सके सिर्फ सोच उन जैसी अपना ले तो ही समाज में कितने सुधार आ जाये.
बहुत शुक्रिया इस आलेख का.

Archana Chaoji said...

shukriyaa......................

पंकज कुमार झा. said...

नाईस स्टोरी....अपनी दिन दुनिया में ही व्यस्त लोगों में से कुछ मुट्ठी भर भी यदि बाबा दयाल दास का अनुसरण कर पाएं तो क्या बात है.

हरकीरत ' हीर' said...

बाबा दयाल दास जी को नमन ......
और आपको भी ....जो आप ऐसे लोगों को हमारे बीच लातीं हैं जो प्रेरणा का श्रोत हैं .....

और ये आपकी पोस्ट के बगल वाले फूल हर बार मन मोह लेते हैं ....

Satish Saxena said...

बाबा रामदयाल से परिचय कराने के लिए आभार !
नए साल की शुभकामनायें स्वीकारें

Creative Manch said...

वाह ....
बहुत ही प्रेरणापूर्ण पोस्ट है.
आज इस समाज को बाबा दयाल दास जैसे गरिमायुक्त लोगों की सख्त आवश्यकता है.

आभार व शुभ कामनाएं

ज्ञानचंद मर्मज्ञ said...

फिरदौस जी,
बाबा दयाल दास जी के मानवता से भरे इस अनुकरणीय कार्य की जितनी भी प्रसंशा की जाय कम है !
समाज को संवारने में दयाल दास जी का योगदान अतुलनीय है !
मेरा नमन !

-ज्ञानचंद मर्मज्ञ

Deepak Saini said...

प्रेरणाप्रद पोस्‍ट।
आभार व शुभ कामनाएं

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

अनुकरणीय़ उदाहरण..

केवल राम said...

फिरदौस जी
आपकी पोस्ट सच में अनुकरणीय है ..जितनी तारीफ की जाये कम है ..समाज को ऐसे व्यक्तियों की नितांत आवश्यकता है जो निश्छल भाव से समाज सेवा करते हों ..मेरी तरफ से बाबा जी को नमन ..उनका प्रयास रंग लाये ..और आप ऐसे दिव्य व्यक्तियों को समाज के सामने लाने का नेक कार्य करती रहें ..आपका आभार

Patali-The-Village said...

बाबा दयाल दास जी को नमन| आज इस समाज को बाबा दयाल दास जैसे गरिमायुक्त लोगों की सख्त आवश्यकता है| शुभकामनाएं|

वर्षा said...

बाबा दयाल जैसे लोग ही असल में ज़िंदगी में कुछ सार्थक कर रहे हैं

Unknown said...

बाबा दयाल दास जैसे कई अनाम लोग "असली" समाजसेवा कर रहे हैं… उन्हें नमन

यदि सम्भव हो तो बाबा दयाल दास का पूरा पता, फ़ोन नम्बर, बैंक खाता नम्बर दें ताकि यदि कोई मदद करना चाहें तो सीधे या अप्रत्यक्ष कर सकते हैं…

vedvyathit said...

aise nek dil insanon ke karn hi duniya me manvta jinda hai
bahut sundr kary kiya hai aap yh bta kr
aap ko sadhuvad

जयकृष्ण राय तुषार said...

sundar post achcha laga sundar srijanatamak lekhan ke liye aapko badhai

उपेन्द्र नाथ said...

सुंदर प्रस्तुति. बाबा दयाल दस जी जैसे लोग हमारे समाज के आदर्श होने चाहिए. बाबा दयाल दास जी को नमन.
नये दशक का नया भारत ( भाग- २ ) : गरीबी कैसे मिटे ?

दीपक बाबा said...

फिरदौस, बहुत बहुत साधुवाद........... इस प्रकार कि प्रस्तुति के लिए....... समाज के ऐसे लोगों को समाज के सामने आना चाहिए........

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