Sunday, March 4, 2012

दिग्विजय सिंह ने जो कहा, सही कहा...


फ़िरदौस ख़ान
कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह का यह कहना बिलकुल सही है कि अगर उत्तर प्रदेश में चुनाव  नतीजे पार्टी के पक्ष में नहीं आते हैं, तो इसके लिए राहुल गांधी को ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता...क्योंकि एक नेता माहौल बनाता है. इस माहौल को वोट और सीटों में तब्दील करना उम्मीदवारों और संगठन का काम है... इस चुनाव में राहुल गांधी ने बहुत मेहनत की है...इसे किसी भी सूरत में झुठलाया नहीं जा सकता है...राहुल के हाथ में कोई जादू की छड़ी तो नहीं है कि वो पल भर में हार को जीत में बदल दें...उत्तर प्रदेश कांग्रेस में जिस तरह से सीटों के बंटवारे को लेकर बवाल हुआ...बाहरी उम्मीदवारों को लेकर सवाल उठे और अपनों  को टिकट दिलाने को लेकर अंदरूनी गुटबाज़ी सामने आई...उसे देखते हुए यह कहना क़तई ग़लत न होगा कि राहुल गांधी ने हालात को बहुत संभाला है...जो हुआ, सो हुआ...कांग्रेस के लिए अब ज़रूरी है कि वो आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनज़र अपने संगठन को और मज़बूत बनाए...और ऐसी किसी भी बात से बचे, जिससे विरोधियों को उसके ख़िलाफ़ आग उगलने का मौक़ा मिले...  

क़ाबिले-गौर है कि  कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव प्रचार में सभी सियासी दलों के नेताओं को पीछे छोड़ दिया... उन्होंने अब तक कुल 211 जनसभाएं कीं... उन्होंने देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के जन्मदिन 14 नवम्बर से इलाहाबाद के फूलपुर से चुनाव मुहिम की शुरूआत की थी...हालांकि राहुल 12 नवम्बर को बाराबंकी से चुनाव प्रचार शुरू कर चुके थे... अमेठी के सांसद ने विधानसभा चुनाव में 48 दिन उत्तर प्रदेश में गुज़ारे... दिन और सभाओं के मामले में किसी भी पार्टी के नेता का यह सबसे लंबा दौरा था... अब तक किसी भी विधानसभा चुनावों में किसी भी राष्ट्रीय पार्टी के नेता ने इतनी सभाएं नहीं कीं...

2 Comments:

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

इस पर कुछ कहूंगा तो आपको बुरा लगेगा. इसलिये चुप हूं.

ARUN KHARE said...

दिग्विजय सिंह ने अपने जीवन में कभी कुछ गलत कहा ही नहीं ऐसा उनके जानने वाले भी कहते है. यह राहुल जी की खुशकिस्‍मती है कि उन्‍हें ऐसा राजनीतिक मार्गदर्शक मिला. निसंदेह राहुल जी प्रधानमं'ी बनकर न भूतो न भविष्‍यति की कहावत भी चरितार्थ करेंगे. मेरी शुभकामनाएं.

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