Saturday, August 27, 2016

इंसानियत इसे कहते हैं...

ख़िदमते-ख़ल्क का जज़्बा ही इंसान को इंसान बनाता है... वरना अपने लिए तो जानवर भी जीते हैं... जो दूसरों के दर्द को महसूस करे, उन्हें ख़ुशी देने के लिए ख़ुद को फ़ना करने से भी पीछे न रहे, सही मायनों में वही ’इंसान’ कहलाने लायक़ है... एक ऐसा इंसान जिस पर मालिके-आदम को भी फ़ख़्र हो...

पोलैंड के चक्का फेंक खिलाड़ी पिओत्र मालाचोवस्की ने कैंसर से पीड़ित तीन साल के बच्चे के इलाज के लिए अपना ओलंपिक पदक दान कर दिया... 33 साल के मालाचोवस्की ने रियो में चक्का फेंक मुक़ाबले में रजत पदक जीता था. उनके इस पदक से मिली रक़म से आंख के कैंसर से जूझ रहे बच्चे ओलेक सिमनास्की का इलाज किया जाएगा.

मालाचोवस्की का कहना है कि उन्होंने मेडल नीलाम करने का फ़ैसला तीन साल के कैंसर पीड़ित बच्चे की मां की जानिब से मदद के लिए मिले एक ख़त को पढ़ने के बाद किया... ख़त में बच्चे की मां ने उन्हें लिखा कि उनका बच्चा ओलेक आंख के कैंसर से बीते दो साल से पीड़ित है... साथ ही लिखा कि बच्चे के बचने की आख़िरी उम्मीद उसके न्यूयॉर्क अस्पताल में इलाज पर टिकी हुई है...
मालाचोवस्की का कहना है, "मेरा रजत पदक एक हफ़्ते पहले तक मेरे लिए बहुत मायने रखता था. ओलेक की सेहत के लिए इसकी ज़्यादा ज़रूरत है."

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