ग़रीब को कोई चीज़ पसंद आ जाए, और उसे ख़रीदने के लिए उसके पास पैसे न हो, तो कई दिन तक जद्दोजहद करने के बाद उसे अपना मन मार लेना पड़ता है... अमीरों को चीज़ों के लिए मन नहीं मारना पड़ता... उन्हें जो चीज़ पसंद आ जाए, वो उसे ख़रीद सकते हैं... दरअसल, इस वक़्त दौलत दुनिया की सबसे बड़ी नेमत है...
(कोरे आदर्शवादी इसे झुठला सकते हैं, लेकिन हक़ीक़त यही है)
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