हम सब बाज़ार से नये-नये कपड़े-कपड़े ख़रीदते रहते हैं... हर मौसम में मौसम के हिसाब से कपड़े आते हैं... सर्दियों के मौसम में स्वेटर, जैकेट, गरम कोट, कंबल, रज़ाइयां और भी न जाने क्या-क्या... बाज़ार जाते हैं, जो अच्छा लगा ख़रीद लिया... हालांकि घर में कपड़ों की कमी नहीं होती... लेकिन नया दिख गया, तो अब नया ही चाहिए... इस सर्दी में कुछ नया ही पहनना है... पिछली बार जो ख़रीदा था, अब वो पुराना लगने लगा... वार्डरोब में नये कपड़े आते रहते हैं और पुराने कपड़े स्टोर में पटख़ दिए जाते हैं...
ये घर-घर की कहानी है... जो कपड़े हम इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं और वो पहनने लायक़ हैं, तो क्यों न उन्हें ऐसे लोगों को दे दिया जाए, जिन्हें इनकी ज़रूरत है...
कुछ लोग इस्तेमाल न होने वाली चीज़ें दूसरों को इसलिए भी नहीं देते कि किसे दें, कौन देने जाए... किसके पास इतना वक़्त है... अगर हम अपना थोड़ा-सा वक़्त निकाल कर इन चीज़ों को उन हाथों तक पहुंचा दें, जिन्हें इनकी बेहद ज़रूरत है, तो कितना अच्छा हो...
चीज़ वहीं अच्छी लगती है, जहां उसकी ज़रूरत होती है...
0 Comments:
Post a Comment