ॐ भूर्भुव: स्वः तत् सवितुर्वरेण्यम् भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्॥
जी हां, यह बिलकुल सच है... उत्तर प्रदेश के अंबेडकरनगर ज़िले के सतासीपुर स्थित नियामत-उलूम मदरसे में गायत्री मंत्र का पाठ होता है... ख़ास बात यह है कि मदरसे में सबसे पहले वन्दे मातरम् गाया जाता है...उसके बाद क़ुरआन की तिलावत होती है... इसके साथ ही गीता और रामायण का भी पाठ होता है...
संस्कृत के शिक्षक अब्दुल कलाम कहते हैं कि हमारा मक़सद बच्चों को क़ुरआन, गीता और रामायण की तालीम देकर बेहतर इंसान बनाना है... मज़हब के नाम पर दंगे-फ़साद फैलाने वालों को इससे सबक़ लेना चाहिए...
क़रीब तीन दशक पहले 1976 में मौलवी मेहराब हासिम ने इस मदरसे की स्थापना की थी. इस मदरसे में लगभग 200 छात्र तालीम हासिल कर रहे हैं, जिनमें हिन्दू बच्चे भी शामिल हैं...
मदरसे के संस्थापक व प्राधानाचार्य मौलवी मेहराब हासिम का कहना है कि राष्ट्रहित से ऊंचा कोई नहीं है और वंदे मातरम् तो हमारे देश का गुणगान है. ऐसे में यह समझ में नहीं आता कि वंदे मातरम् गाने पर कुछ मज़हब के ठेकेदार क्यों ऐतराज़ जताते हैं. ये शर्मनाक, गंभीर और सोचनीय है...
एक तरफ़ जहां हिन्दुस्तान में मज़हब के नाम पर नफ़रत फैलाने का काम किया जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ़ ऐसे लोग भी हैं जो गंगा-जमुनी तहज़ीब को बढ़ावा दे रहे हैं... यक़ीनन ऐसे लोग ही इंसानियत को ज़िंदा रखे हुए हैं...
47 Comments:
ऐसे हिन्दुस्तानियों पर गर्व है मुझे
wah kya bat hai.....
bharat ma ke is saput ko naman....
सादर !
यह तो बहुत ही अच्छी बात है | लेकिन ये आपने यहाँ बताकर अच्छा नहीं किया ब्लागवाणी कुछ आतंकवादी भी पढ़ते हैं और इस जानकारी के बाद मदरसे से जुड़े लोगों का जीना हराम कर देंगे |
सराहनीय प्रयास है .इस से एक दूसरों के बीच की कटुता समाप्त होगी .और दूसरे धर्मों के बारे में जो भ्रम हैं वे मिट जायेंगे .यदि अन्य मारसे भी ऐसा करें तो अच्छा होगा ,इसी तरह किसी मंदिर में कुरआन का पाठ भी करा जा सकता है .बच्चों को दुसरे धर्मों के बारे में बताना चाहिए.तभी देश एक हो पायेगा .और अलगाववादी विफल हो सकेंगे .फिरदौस जी को इस पोस्ट के लिए शतशह धन्यवाद .मेरी कामना है की वे इसी तरह की जानकारियाँ और आगे भी देती रहें .इस पोस्ट के लिए फिरदौस जी की जितनी तारीफ़ की जाए कम है.संकीर्ण विचारधारा वालों को उनसे सीखना चाहिए
सराहनीय प्रयास है .इस से एक दूसरों के बीच की कटुता समाप्त होगी .और दूसरे धर्मों के बारे में जो भ्रम हैं वे मिट जायेंगे .यदि अन्य मारसे भी ऐसा करें तो अच्छा होगा ,इसी तरह किसी मंदिर में कुरआन का पाठ भी करा जा सकता है .बच्चों को दुसरे धर्मों के बारे में बताना चाहिए.तभी देश एक हो पायेगा .और अलगाववादी विफल हो सकेंगे .फिरदौस जी को इस पोस्ट के लिए शतशह धन्यवाद .मेरी कामना है की वे इसी तरह की जानकारियाँ और आगे भी देती रहें .इस पोस्ट के लिए फिरदौस जी की जितनी तारीफ़ की जाए कम है.संकीर्ण विचारधारा वालों को उनसे सीखना चाहिए
सराहनीय प्रयास है .इस से एक दूसरों के बीच की कटुता समाप्त होगी .और दूसरे धर्मों के बारे में जो भ्रम हैं वे मिट जायेंगे .यदि अन्य मारसे भी ऐसा करें तो अच्छा होगा ,इसी तरह किसी मंदिर में कुरआन का पाठ भी करा जा सकता है .बच्चों को दुसरे धर्मों के बारे में बताना चाहिए.तभी देश एक हो पायेगा .और अलगाववादी विफल हो सकेंगे .फिरदौस जी को इस पोस्ट के लिए शतशह धन्यवाद .मेरी कामना है की वे इसी तरह की जानकारियाँ और आगे भी देती रहें .इस पोस्ट के लिए फिरदौस जी की जितनी तारीफ़ की जाए कम है.संकीर्ण विचारधारा वालों को उनसे सीखना चाहिए
अविश्वश्नीय से बात लगती है..अच्छी रिपोर्ट है ..इसे फेस बुक पे भी लगाएं
मदरसे का सही मतलब क्या होता है..और कुछ लोग मदरसे को आतंकवाद से क्यूँ जोड़ते हैं?
शानदार पोस्ट है...
यह कमाल संस्कृत के संस्कृत के अध्ययन का है ! शुक्रिया !
bhgvan ise buri njr se bchaye rkhna
maine schche dil se dua ki hai ise kbool frmana
vedvyathit
हत्प्रभ!!
धन्य है,वो मदरसा 'नियामत-उलूम'!!
धन्य है,वो शिक्षक अब्दुल कलाम !!
धन्य है,वे स्थापक मौलवी मेहराब हासिम !!
धन्य है,आप यह बहुमूल्य जानकारी हमारे साथ शेयर की!!
भारत में बिल्कुल नये ढ़ंग से सोचने वालों और तरह-तरह के प्रयोग करने वालों की कमी नहीं है। भेड़चाल किसी भी समाज के लिये सबसे खतरनाक नुस्खा है।
ऐसा सिखद समाचार सुनाने के लिये आपकी शुक्रिया।
प्राधानाचार्य मौलवी मेहराब हासिम जैसे नागरिकों पर गर्व है हमें |
बहन फ़िरदौस
सादर प्रणाम
इस देश को जितना बांटने की कोशिश करतें हैं उतना ही मज़बूत होता है
सार्थक सूचना के लिये आभारी हूं
एक बहुत ही अच्छी बात से रूबरू कराने के लिये धन्यवाद
अवध क्षेत्र में गंगा-जमुनी तहजीब के ऐसे कई उदाहरण हैं, जिनसे पता चलता है कि भारत में विभिन्न धर्मों के लोग परस्पर सौहार्द से साथ-साथ रहते रहे हैं... जहाँ दो बर्तन हों खटर-पटर होनी स्वाभाविक ही है, पर उसे कभी देशद्रोह आदि से जोड़कर नहीं देखा गया... जैसे प्रेम स्वाभाविक है, वैसे ही झगड़ा भी...नफ़रत की राजनीति तो कुछ स्वार्थी लोगों द्वारा फैलाई जाती है, जो ये सोचते हैं कि सब कुछ शांत हो गया, तो उन्हें कौन पूछेगा?...
उपर्युक्त समाचार सुनाने के लिए बहुत धन्यवाद फिरदौस.
Bahut hi acchi jankari di hai apne
वाह जी वाह फिरदौस जी बहुत खूब अगर ऐसी भावना हम सब के अन्दर रहे तो दुनिया की सबसे बड़ी ताकत भारत होगा कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी इस तरह की पोस्ट लिखकर आपने दिल खुस कर दिया बहुत ही ख़ुशी हुई इस पोस्ट को पढ़कर की अब लोग पहले हिन्दू मुश्लिम शिख इसाई आपसे में सब भाई भाई वाली कहावत पर चल निकले हैं बहुत खूब इस कामयाबी के लिए आपको दाद देते हैं बहुत खूब ऐसी पोस्ट जल्दी जल्दी पढायाकरो
देखो कमल भी हैं इस जहां में ...
अच्छा लगा सुनकर...इसी सौहार्द की जरुरत है.
आपने एक आशाजनक सौहार्द्रपूर्ण तथ्य से अवगत कराया.धन्यवाद.आम हिन्दुओं की धारणा यह है कि मदरसों में मुस्लिम धार्मिक कट्टरता का पाठ पढ़ाया जाता है.
कास ऐसा सर्वधर्मसम्भाव मुसलिमों का बहुमत स्वीकार कर लेता तो सारा झगड़ा ही समाप्त हो जाता क्योंकि हिन्दूओं का बहुमत तो इस सर्वधर्मसम्भाव की भावना से पहले ओतप्रोत है।
आपका कार्य अत्यंत सराहनीय है. वर्तमान में ऐसी चीजों की बहुत आवश्यकता है. इसके लिए आपको कोटि-कोटि नमन
इस समाचार को जानकर मन प्रफुल्लित हुआ....आपसी सौहार्द के लिए आज के समय में इस प्रकार के प्रयास नितांत आवश्यक है.....
जानकारी के लिए हार्दिक धन्यवाद. यह एक अनुकरणीय उदाहरण है. अफ़सोस कि ऐसे उदाहरण गिने चुने ही हैं.
धर्म कोई भी हो सबका आदर करते हुए जीने से बड़ा सुख और क्या हो सकता है ? दूसरे धर्मों को गाली देने वालों के लिए बहुत बड़ा तमाचा है यह जानकारी ! शुभकामनायें फिरदौस जी !
धन्यवाद की पात्र तो आप हो फिरदोश जिसने लोगो को ऐसी सच्चाई से रूबरू कराया आप जैसे लोगो के कारण ही धरती पर धर्म कायम है। हो सके तो मेरा ब्लोग भी पढे कर देखना.. जय हिंद
Bahut hi kamaal ki jankari di hai Firdaus bahan. Aaj hamare hindustan ko sachche deshbhakto ki zarurat hai.
मौलवी मेहराब हासिम तथअ अब्दुल कलाम जी के महान विचारों को नमन!
गायत्री मंत्र में ईश्वर से एक ही प्रार्थना की गयी है की मुझे सदबुद्धि दो. किस मजहब की जरूरत नहीं है यह ?
impressive..
sant kabir ke dash me aise chamatkaar ki ummid ki ja sakati hai .........naman
बढ़िया और मन को सुकून देती जानकारी के लिए शुक्रिया
इन मुसलमान हरि जनन पे
कोटिन हिंदु वारिये.....
बहिन जी हम इसीलिये जिंदा हैं...
सौहार्दपूर्ण वातावरण तैयार हो रहा है .
ये मदरसा ,ये मौलवी साहेब ,ये पोस्ट,
सबको नमन है जी .
काश चंद पढ़े लिखे देशवासी भी ये समझे ले की वे पहले भारतीय है और फिर हिन्दू / मुस्लिम, तो फिर देश की तस्वीर बदलने और इस देश को महाशक्ति बनने में ज्यादा वक़्त नहीं लगेगा.
choom lu mai us juba ko jis pe aye tera nam,
ai mere pyare watan ai mere achhe chaman tujhpe dil kurban...
पता नहीं कुछ कट्टर हिंदूवादी लोग ऐंसी बातो को क्यों नहीं बताते समाज में. बहुत खूब मैडम. कुछ दिनों से धार्मिक उन्माद फ़ैलाने वाली पोस्ट पढ़ कर दिल बहुत ब्याकुल हो रहा था. अब अछा लग रहा है.लेकिन मैडम आप ये ध्यान देना की यहाँ पर इस बात को अच्छा कहने वाले कुछ लोग फिर किसी ऐंसे ही दो बातो में आकर भला बुरा कहने लगेंगे. चाहे वो हिन्दू हो या मुसलमान
dhnyvaad
एक तरफ़ जहां हिन्दुस्तान में मज़हब के नाम पर नफ़रत फैलाने का काम किया जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ़ ऐसे लोग भी हैं जो गंगा-जमुनी तहज़ीब को बढ़ावा दे रहे हैं... यक़ीनन ऐसे लोग ही इंसानियत को ज़िंदा रखे हुए हैं...
.....बढ़िया और मन को सुकून देती जानकारी के लिए शुक्रिया
अनूप,
कृपया इतनी संशयपूर्ण बात न करो,और वह भी यहां। और इस मौके पर।
जरा नजर फ़ेरो इन 36 टिप्पनियों पर,सद्भाव की सराहना करने वालों पर!और कोन हाजिर नहिं है मन्थन करो।
जिनके दिलों में सद्भाव भरा होता है वही इतना श्रम उठाते है,एसे उदहरण ढुन्ढ लाने में।
wah gazav...
very good..
मौलवी मेहराब हासिम जैसे लोगों पर हमें गर्व है,इनके प्रयास सराहनीय हैं इन्हें बढ़ावा मिलना चाहिए|ऐसे लोग हमें प्रेरणा देते हैं|सर्वधर्मसमभाव का एक उपयुक्त उदाहरण|
शिक्षक अब्दुल कलाम और मौलवी मेहराब हासिम जैसे लोग इंसानियत को समझते हैं.
बहुत से शिक्षकों को उनसे सीख लेनी चाहिए. इस जानकारी के लिए आपका शुक्रिया!!
Aise prayason ki samaaj ko jarurat hai.lekh ke liye dhanyawaad.
बहन, अति सुन्दर जानकारी। आवश्यकता है समाज़ को ज़ोडने वाली शक्तियों को मज़बूत करने की। आपका प्रयत्न, विघटनकारी शक्तियों के नाश में आपकी अहम भुमिका होगी।
{महमूद एंड कम्पनी ,मरोल पाइप लाइन ,मुंबई द्वारा हिंदी में प्रकाशित कुरान मजीद से ऊदत } इस्लाम के अनुसार इस्लाम के प्रति इमान न रखने वाले ,व बुतपरस्त( देवी -देवताओ व गुरुओ को मानने वाले काफिर है ) 1................मुसलमानों को अल्लाह का आदेश है की काफिरों के सर काट कर उड़ा दो ,और उनके पोर -पोर मारकर तोड़ दो (कुरान मजीद ,पेज २८१ ,पारा ९ ,सूरा ८ की १२ वी आयत )! 2.....................जब इज्जत यानि , युद्द विराम के महीने निकल जाये ,जो की चार होते है [जिकागा ,जिल्हिज्या ,मोहरम ,और रजक] शेष रामजान समेत आठ महीने काफिरों से लड़ने के उन्हें समाप्त करने के है !(पेज २९५ ,पारा १० ,सूरा ९ की ५ वी आयत ) 3...................जब तुम काफिरों से भिड जाओ तो उनकी गर्दन काट दो ,और जब तुम उन्हें खूब कतल कर चुको तो जो उनमे से बच जाये उन्हें मजबूती से केद कर लो (पेज ८१७ ,पारा २६ ,सूरा ४७ की चोथी आयत ) 4............निश्चित रूप से काफिर मुसलमानों के खुले दुश्मन है (इस्लाम में भाई चारा केवल इस्लाम को माननेवालों के लिए है ) (पेज १४७ पारा ५ सूरा ४ की १०१वि आयत ) .........................क्या यही है अमन का सन्देश देने वाले देने वाले इस्लाम की तस्वीर इसी से प्रेरित होकर ७१२ में मोह्हम्मद बिन कासिम ,१३९८ में तेमूर लंग ने १७३९ में नादिर शाह ने १-१ दिन मै लाखो हिन्दुओ का कत्ल किया ,महमूद गजनवी ने १०००-१०२७ में हिन्दुस्तान मै किये अपने १७ आक्रमणों मै लाखो हिन्दुओ को मोट के घाट उतारा मंदिरों को तोड़ा,व साढ़े ४ लाख सुंदर हिन्दू लड़कियों ओरतो को अफगानिस्तान में गजनी के बाजार मै बेच दिया !गोरी ,गुलाम ,खिलजी ,तुगलक ,लोधी व मुग़ल वंश इसी प्रकार हिन्दुओ को काटते रहे और हिन्दू नारियो की छीना- झपटी करते रहे {द हिस्ट्री ऑफ़ इंडिया एस टोल्ड बाय इट्स ओवन हिस्तोरिअन्स,लेखक अच् ,अच् एलियार्ड ,जान डावसन }यही स्थिति वर्तमान मै भी है सोमालिया ,सूडान,सर्बिया ,कजाकिस्तान ,अफगानिस्तान ,अल्जीरिया ,सर्बिया ,चेचनिया ,फिलिपींस ,लीबिया ,व अन्य अरब देश आतंकवाद के वर्तमान अड्डे है जिनका सरदार पाकिस्तान है क्या यह विचारणीय प्रश्न नहीं की किस प्रेरणा से इतिहास से वर्तमान तक इक मजहब आतंक का पर्याय बना है ???????????????
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