Tuesday, March 13, 2012

कांग्रेस का एक और आत्मघाती क़दम...


लगता है, कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजों से सबक़ नहीं लिया है... विजय बहुगुणा को उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद कांग्रेस में कलह शुरू हो गई है... उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पद के मज़बूत दावेदार रहे हरीश रावत के समर्थकों ने न केवल सोनिया गांधी के ख़िलाफ़ नारेबाज़ी की, बल्कि पार्टी नेतृत्व के ख़िलाफ़ भी अपना आक्रोश जताया... ये लोग हरीश रावत को मुख्यमंत्री न बनाए जाने से नाराज़ हैं...अगर कांग्रेस चुनाव के वक़्त ही हरीश रावत को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर देती तो पार्टी को बहुमत मिल सकता था...

गौरतलब है कि विजय बहुगुणा उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा के बेटे और रीता बहुगुणा जोशी के भाई हैं... वह टिहरी गढ़वाल लोकसभा सीट से सांसद हैं... वह 14वीं लोकसभा में भी सदस्य थे... विजय बहुगुणा का जन्म इलाहाबाद में हुआ था... विजय बहुगुणा ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बीए और एलएलबी की पढ़ाई की थी... इसके बाद वे इलाहाबाद हाई कोर्ट में बतौर वकील प्रैक्टिस करने लगे थे... बाद में वह जज भी बने...
बहरहाल, कांग्रेस जिस तरह के फ़ैसले ले रही है, उससे तो यही लगता है कि सत्ता से अब उसका मन भर गया है...

2 Comments:

शूरवीर रावत said...

आपने सही शीर्षक इस्तेमाल किया फिरदौस जी. '......आत्मघाती कदम'
वास्तव में हकीकत भी यही है. हरीश रावत जी उत्तराखण्ड की राजनीति में एक शीर्षस्थ नेता हैं. सन 1980,1985 व 1989 में अल्मोड़ा से कांग्रेसी सांसद रह चुके हैं. राजीव गांधी जी की मृत्यु के उपरांत जब कांग्रेस बिखर सी गयी थी तब कई तथाकथित नेता पार्टी छोड़ कर जा चुके थे किन्तु हरीश रावत जी जैसे नेता कहीं नहीं गए....... उत्तराखण्ड गठन के बाद राज्य में कांग्रेस मृतप्राय पार्टी थी. किन्तु हरीश जी ने मेहनत कर कांग्रेस को खड़ा ही नहीं किया अपितु विधान सभा में पूर्ण बहुमत से जितवाया और ऐन मौके पर एन० डी0 तिवारी जी को मुख्यमंत्री बना दिया गया. 2009 में हरिद्वार लोकसभा सीट से वे फिर अपने बलबूते विजयी ही नहीं हुए अपितु राज्य की पांचो लोकसभा सीट कांग्रेस की झोली में डलवाने में उनका बहुत बड़ा योगदान था........ और आज जब जनमत उनके पक्ष में था तब फिर उनके साथ छल किया गया.
आपकी बेबाक टिपण्णी के लिए बहुत बहुत आभार !

GGShaikh said...

Firdaus,
kya tumhari baat manegi Congress ?
kya Congress kisi ki baat sunne ke mood mein hai ?
'Correction measures' to door ki baat rahi... :-()

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