Wednesday, October 20, 2010

हरियाणा के किसान ने बनाई बहु उद्देशीय प्रसंस्करण मशीन

फ़िरदौस ख़ान
हरित क्रांति के लिए अग्रणी हरियाणा को कृषि के क्षेत्र में सिरमौर बनाने में यहां के किसानों की अहम भूमिका है. यहां के किसानों ने न केवल खेतीबाड़ी में नित नए प्रयोग किए हैं, बल्कि तकनीकी क्षेत्र में भी अपनी योग्यता का परचम लहराया है. ऐसे ही एक किसान हैं यमुनानगर ज़िले के गांव दामला के धर्मवीर, जिन्होंने बहु उद्देशीय प्रसंस्करण मशीन बनाकर इस क्षेत्र में एक नई क्रांति को जन्म दिया है. इस मशीन से जूसर, ग्राइंडर, कुकर और मिक्सर का काम एक साथ लिया जा सकता है.

जड़ी-बूटियों की खेती करने वाले धर्मवीर बताते हैं कि उनका कारोबार जड़ी-बूटियों का है. वह अपने खेतों में उगी औषधियों को तैयार करके बाज़ार में बेचते हैं. औषधियों को पीसना, उनका जूस और अर्क़ निकालना बहुत मेहनत का काम है और इसमें समय भी ज़्यादा लगता है. साथ ही लेबर का ख़र्च बढ़ने से लागत भी ज़्यादा हो जाती है. इसलिए उन्होंने सोचा कि क्यों न ऐसी कोई मशीन बनाई जाए, जिससे उनका काम आसान हो जाए. उन्होंने वर्ष 2006 में बहु उद्देशीय प्रसंस्करण मशीन बनाई. उन्होंने क़रीब एक साल तक इस मशीन से जड़ी-बूटियों, गुलाब, ऐलोवेरा (धूतकुमारी), आंवला, जामुन, केला और टमाटर की प्रोसेसिंग करके विभिन्न उत्पाद तैयार किए. गुलाब का अर्क़, केले के छिलके का अर्क़, जामुन का जूस और जामुन की गुठली का पाउडर भी इससे तैयार किया. मशीन में जड़ी-बूटियों और फल-सब्ज़ियों की प्रोसेसिंग करके पांच-छह उत्पाद तैयार किए जा सकते हैं. इन मशीन से एलोवेरा और आंवले की जैली, जूस, शैंपू, चूर्ण, तेल और मिठाई बना सकती है.

उनका कहना है कि छह फ़ीट ऊंची इस मशीन की क़ीमत एक लाख 35 हज़ार रुपये रखी गई है. इस मशीन का कुकर, मिक्सर और ग्राइंडर एक घंटे में क़रीब 150 किलोग्राम जड़ी-बूटियों और फल-सब्ज़ियों की प्रोसेसिंग करने में सक्षम है. मशीन में तीन टैंक लगे हैं, एक बड़ा और दो छोटे टैंक. बड़े टैक्स से जुड़े एक छोटे टैंक में अरंडी का तेल भरा होता है. जड़ी-बूटियां और फल-सब्जियां पकाते समय जलते नहीं हैं, क्योंकि अरंडी तेल से भरा टैंक अतिरिक्त ताप को सोख लेता है. मशीन को चलाने के लिए दो एचपी की मोटर लगी है. इस मशीन को चलाने के लिए पांच-छह लोगों की ज़रूरत होती है. यह मशीन छोटी फूड प्रोसेसिंग इकाइयों के लिए बड़ी उपयोगी हो सकती है. यह मशीन हल्की होने के कारण इसे कहीं भी आसानी से ले जाया जा सकता है.

उन्होंने बताया कि वर्ष 2006 में ही उनकी इस मशीन को फूड प्रोडक्ड ऑर्डर (एफपीओ) 1955 के तहत लाइसेंस मिल गया था. इसके अलावा अहमदाबाद के नेशनल इन्नोवेशन फ़ाउंडेशन (एनआईएफ) ने भी इस मशीन को उपयोगी माना है. उन्होंने सबसे पहले करनाल के नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीटयूट (एनडीआरआई) में आयोजित किसान मेले में इस मशीन को प्रदर्शित किया था, जहां इसे बहुत सराहा गया. इसके बाद वह हरियाणा के अलावा अन्य राज्यों में भी इस मशीन का प्रदर्शन करने लगे. वह बताते हैं कि वर्ष 2008 से इस मशीन की कॉमर्शियल बिक्री कर रहे हैं और अब तक 25 मशीनें बेच चुके हैं. उनका कहना है कि यह मशीन हरियाणा, राजस्थान और हिमाचल सरकार के बाग़वानी विभागों ने ख़रीदी है, ताकि फूड प्रोसेसिंग से जुड़े उद्यमियों के सामने इसे प्रदर्शित किया जा सके. वह बताते है कि राज्य में फूड प्रोसेसिंग इकाई संचालित करने वाले एक उद्यमी ने यह मशीन लगाई है.

उन्होंने 20 जून को नई दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित एसोचैम हर्बल इंटरनेशनल एक्सपो मेले में भी इस मशीन को प्रदर्शित किया था. इसमें आयुष विभाग, स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार, विज्ञान एवं तकनीकी मंत्रालय, राष्ट्रीय औषधि पादक विभाग के दिल्ली, छत्तीसगढ़, गुजरात, बिहार, सिक्किम, पंजाब और महाराष्ट्र सहित कई राज्यों के किसानों व कंपनियों ने अपने-अपने उत्पादों को प्रदर्शित किया. उन्होंने हरियाणा के बाग़वानी विभाग की तरफ़ से मेले का प्रतिनिधित्व किया. इसमें उनके द्वारा निर्मित प्राकृतिक उत्पादनों को प्रदर्शित किया गया. उसके द्वारा निर्मित प्राकृतिक उत्पादनों को देखकर केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री दिनेश त्रिवेदी इतने प्रभावित हुए कि कार्यक्रम का सबसे ज़्यादा समय हरियाणा के इस स्टॉल पर व्यतीत किया. किसान द्वारा तैयार किए गए हर्बल उत्पादों में गहन रुचि दिखाई. उन्होंने कहा कि यह हमारे देश का ही नहीं, बल्कि विश्व का भविष्य है. धर्मवीर ने बताया कि मेले में आने वाले देश-विदेश से प्रतिनिधि, कंपनियों व अधिकारियों ने उसके द्वारा निर्मित प्रोसेसिंग मशीन में ख़ासी दिलचस्पी ली. उन्होंने इस मशीन को किसानों के लिए 'वरदान' बताते हुए कहा कि इससे किसानों की आर्थिक दशा सुधारने में मदद मिलेगी. इस उपलब्धि के लिए धर्मवीर को पिछले साल 18 नवंबर को राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने सम्मानित किया था. इसके अलावा कई संस्थाओं ने भी उन्हें सम्मानित किया है.

9 Comments:

पंकज कुमार झा. said...

बहुत जान है हरियाणा में....भरोसा नहीं हो तो फिरदौस को ही देख लीजिए.

समयचक्र said...

किसानों के लिए तो ये काफी अच्छी जानकारी है .... प्रस्तुति के लिए आभार ...

P.N. Subramanian said...

शीर्षक पढ़कर बड़ी उत्सुकता हुई. सोचा एक अपने घर के लिए भी ले लिया जाए परन्तु यह तो बड़ी मशीन है. आजकल औशधीय एवं महक वाले पेड़ पौधों की खेती में लोगों की रूचि बढ़ी है. यह मशीन किसानों के लिए वरदान साबित होगा. प्रस्तुति के लिए आभार.

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

अरे वाह। सचमुच आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है।

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

बहुत अच्छा लग रहा है पढ़कर..

Rajeysha said...

Useful information!

प्रवीण पाण्डेय said...

ये देश है वीर जवानों का,.....

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

आवश्यकता से हुआ अविष्कार
बढिया जानकारी दी फ़िरदौस जी आपने।
आभार

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' said...

बहुत उपयोगी जानकारी दी है आपने.

Post a Comment