Monday, August 8, 2011

राहुल को प्रधानमंत्री देखना चाहते हैं...


हिन्दुस्तान का शहज़ादा 
फ़िरदौस ख़ान
कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी प्रधानमंत्री पद के लिए देशवासियों की पहली पसंद हैं. सीएनएन-आईबीएन और सीएनबीसी-टीवी 18 टीवी नेटवर्क  के सर्वे के मुताबिक़ ज़्यादातर लोगों की राय है कि राहुल गांधी को देश का अगला प्रधानमंत्री बनना चाहिए. देश के 20 राज्यों में किए गए इस सर्वे के मुताबिक़ कांग्रेस शासित राज्यों के 42 फ़ीसदी लोग चाहते हैं कि राहुल देश की कमान संभालें, जबकि 32 फ़ीसदी लोगों का मानना है कि जल्द ही मनमोहन सिंह की जगह ले लेनी चाहिए. कुल 39 हज़ार लोगों में से महज़ 22 फ़ीसदी लोगों का मानना है कि मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री पद पर बने रहना चाहिए. वहीं 54 फ़ीसदी लोगों का कहना है कि राहुल ग़रीबों के हितैषी और भरोसेमंद नेता हैं. उनके सामने कांग्रेस पार्टी का कोई नेता नहीं टिक पाया.

जब भ्रष्टाचार और महंगाई के मामले में कांग्रेस के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार का चौतरफ़ा विरोध हो रहा है, ऐसे वक़्त  में राहुल ने गांव-गांव जाकर जनमानस से एक भावनात्मक रिश्ता क़ायम किया. राहुल ने लोगों से मिलने का कोई मौक़ा नहीं छो़ड़ा. बीती पांच जुलाई को वह भट्टा पारसौल गांव गए. उन्होंने आसपास के गांवों का भी दौरा कर ग्रामीणों से बात की, उनकी समस्याएं सुनीं और उनके समाधान का आश्वासन भी दिया. इससे पहले भी 11 मई की सुबह वह मोटरसाइकिल से भट्टा-पारसौल गांव जा चुके हैं. उस वक़्त मायावती ने उन्हें गिरफ्तार करा दिया था. इस बार भी वह गुपचुप तरीक़े से ही गांव गए. न तो प्रशासन को इसकी ख़बर थी और न ही मीडिया को इसकी भनक लगने दी गई. हालांकि उनके दौरे के बाद प्रशासन सक्रिय हो गया. बीती 29 जून को वह लखीमपुर में पीड़ित  परिवार के घर गए और उन्हें इंसाफ़ दिलाने का वादा किया.

भूमि अधिग्रहण के मुद्दे पर कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी द्वारा निकाली गई पदयात्रा से सियासी हलक़ों में चाहे जो प्रतिक्रिया हुई हो, लेकिन यह हक़ीक़त है कि राहुल ने ग्रामीणों के साथ जो वक़्त बिताया, उसे वे कभी नहीं भूल पाएंगे. इन लोगों के लिए यह किसी सौग़ात से कम नहीं था कि उन्हें युवराज के साथ वक़्त गुज़ारने का मौक़ा मिला. अपनी पदयात्रा के दौरान पसीने से बेहाल राहुल ने शाम होते ही गांव बांगर के किसान विजय पाल की खुली छत पर स्नान किया. फिर थोड़ी देर आराम करने के बाद उन्होंने घर पर बनी रोटी, दाल और सब्ज़ी खाई. ग्रामीणों ने उन्हें पूड़ी-सब्ज़ी की पेशकश की, लेकिन उन्होंने विनम्रता से मना कर दिया. गांव में बिजली की क़िल्लत रहती है, इसलिए ग्रामीणों ने जेनरेटर का इंतज़ाम किया था, लेकिन राहुल ने पंखा भी बंद करवा दिया. वह एक आम आदमी की तरह ही बांस और बांदों की चारपाई पर सोए. यह कोई पहला मौक़ा नहीं था, जब राहुल गांधी इस तरह एक आम आदमी की ज़िंदगी गुज़ार रहे थे. इससे पहले भी वह रोड शो कर चुके हैं और उन्हें इस तरह के माहौल में रहने की आदत है. कभी वह किसी दलित के घर भोजन करते हैं तो कभी किसी मज़दूर से साथ ख़ुद ही परात उठाकर मिट्टी ढोने लगते हैं. राहुल का आम लोगों से मिलने-जुलने का यह जज़्बा उन्हें लोकप्रिय बना रहा है. राहुल जहां भी जाते हैं, उन्हें देखने के लिए, उनसे मिलने के लिए लोगों का हुजूम इकट्ठा हो जाता है.

फ़िलहाल राहुल अपनी मां सोनिया के साथ विदेश में हैं. पिछले दिनों ही उनकी सर्जरी हुई है. उनके जल्द ठीक होने की दुआ करते हैं. उम्मीद है कि हिन्दुस्तान का शहज़ादा जल्द ही वापस आएगा.  माना जा रहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की ग़ैर मौजूदगी में राहुल को तिरंगा फहराने का अधिकार सौंपा जा सकता है. अगर ऎसा होता है, तो यह पहला मौक़ा होगा जब राहुल कांग्रेस के 24 अकबर रोड स्थित मुख्यालय पर तिरंगा फहराएंगे...

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राहुल की मेहनत रंग लाएगी...