Saturday, September 3, 2016

साहित्य चोरी


आख़िर ग़ैरत नाम की भी कोई चीज़ होती है... लोग इतने बेग़ैरत भी हो सकते हैं, नहीं जानते थे... फ़ेसबुक पर ऐसे लोगों को देखकर बेज़ारी होती है... इन लोगों को किसी का कोई भी लेख या गीत, ग़ज़ल या नज़्म अच्छी लगती है, फ़ौरन उसे अपनी दीवार, अपने ग्रुप या अपने पेज पर पोस्ट कर देते हैं, बिना लेखक का नाम शामिल किए... कुछ महाचोर या महा डकैत रचना के नीचे अपना नाम भी लिख देते हैं... इसे चोरी कहना ठीक नहीं होगा, क्योंकि ये तो सरासर डकैती है... एक साहित्यिक डकैती... कोई बेग़ैरत और कमज़र्फ़ ही ऐसा कर सकता है... जो लोग फ़ेसबुक पर दूसरों की रचनाएं चुराते हैं, फ़ेसबुक से बाहर ये लोग न जाने क्या-क्या चुराते होंगे... इसलिए ऐसे लोगों से सावधान रहें...
फ़ेसबुक में पोस्ट शेयर करने का भी विकल्प है... किसी की कोई पोस्ट अच्छी लगी है, तो उसे शेयर भी किया जा सकता है...

नोट : जिन लोगों की रचनाओं की चोरी हुई है. उनसे ग़ुज़ारिश है कि अपनी रचनाओं और उन्हें चोरी करने वालों के बारे में कमेंट बॊक्स में ज़रूर लिखें...
(जनहित में जारी)