आप सबसे मुआफ़ी चाहते हैं कि इस पोस्ट को पढ़कर आपको कुछ तकलीफ़ ज़रूर होगी... यक़ीन मानिए पोस्ट लिखते हुए हमें भी बहुत तकलीफ़ हो रही है...मानो हमारी रूह भी लहुलुहान हो गई हो... किसी अपने को खोने से बड़ा कोई और दुख नहीं होता...जिसने भी किसी अपने को खोया है, वो इसे शिद्दत से महसूस कर सकता है...
कुछ वक़्त पहले दिल्ली में बचपन की एक सहेली से हमारी मुलाक़ात हुई...वो हमारे दिल के बहुत क़रीब थी...लड़की उत्तर प्रदेश के एक छोटे से शहर की थी... हाल ही में उत्तराखंड के एक लड़के से उसका विवाह हुआ था... एक दिन ख़बर मिली कि उस लड़की की मौत हो गई है... वजह..., जिस लड़के के साथ उस लड़की की शादी हुई थी, उस लड़के के अपनी मां की उम्र की एक "आंटी" के साथ नाजायज़ ताल्लुक़ात थे... 'आंटी' के कहने पर लड़के ने अपनी पत्नी को ज़हर देकर मार डाला... 'आंटी' के बच्चे भी उस लड़के की उम्र के ही हैं... अपनी एक पूरी ज़िन्दगी जी चुकी 'महिला' ने अपनी हवस पूरी करने के लिए एक लड़की की सुहाग सेज को उसकी मौत की शय्या बना डाला... जिस लड़की के हाथों की मेहंदी अभी सूखी भी नहीं थी...वो क़ब्र की गहराइयों में दफ़न हो गई... न जाने कितने अरमानों को अपने साथ लिए... उस लड़के के साथ अपनी ज़िन्दगी को तसव्वुर करके उसने कितने इंद्रधनुषी सपने बुने होंगे... जो अब कभी पूरे नहीं होंगे...
बेटी के सदमे से लड़की की मां का का बुरा हाल है... वो किसी को पहचान तक नहीं पा रही हैं... लड़की का पिता अपनी बेबसी पर आंसू बहा रहा है... लड़की की छोटी बहन का भी रो-रोकर बुरा हाल है...
हवस...एक ऐसी आग है, जो इंसान को जानवर बना देती है. हवस में अंधे होकर लोग सामाजिक मान-मर्यादा तक को भूल जाते हैं. वे मां-बेटे और और भाई-बहन जैसे पाक रिश्तों को भी कलंकित कर देते हैं. ऐसे संबंधों में उनको तसल्ली रहती है कि कोई उन पर शक नहीं करेगा. दरअसल 'आधुनिकता' के नाम पर भी नाजायज़ रिश्तों का चलन बढ़ा है. ऐसे मामलों में महिलाएं भी पीछे नहीं हैं. कुछ साल पहले एक न्यूज़ चैनल ने एक स्टिंग ऑपरेशन दिखाया था, जिसमें महिलाएं अपनी बेटों की उम्र के लड़कों से 'सौदा' करती हैं. पुरुष वेश्या का किरदार निभा रहे एक रिपोर्टर ने जब महिला से उसके परिवार के बारे में पूछा तो महिला बताती है कि उसका पति है, जवान बच्चे हैं, जो जॉब करते हैं.रिपोर्टर ने जब महिला से पूछा कि पति के रहते उसे लड़का क्यों चाहिए? तो महिला का जवाब था-'टेस्ट' बदलने के लिए. यह है हमारे समाज का बदलता घिनौना (या यूं कहें कि तथाकथित आधुनिक चेहरा.
पुलिस थानों में हर रोज़ ऐसे न जाने कितने मामले आते हैं...जिन्हें अकसर दहेज प्रताड़ना का मामला कहकर पेश किया जाता है... कुछ साल पहले हरियाणा में एक महिला ने पहले अपने 'साथियों' के साथ मिलकर अपने पति की हत्या की...फिर बाद में अपने एक 'साथी' की पत्नी को जलाकर मार डाला...जब महिला की जवान बेटी ने मां का विरोध करना शुरू किया तो उसे भी ज़हर पिलाकर मौत की नींद सुला दिया... कुछ वक़्त पहले एक एक युवक ने अपनी मां की उम्र की महिला से अवैध संबंध के चलते अपनी पत्नी और दो मासूम बच्चों को जलाकर मौत की नींद सुला दिया...ऐसे कितने ही मामले मिल जाएंगे...कुछ लोगों की हवस कितनी ही ख़ुशहाल ज़िन्दगियों को निग़ल जाती है...
क़ानून किसी को उसके जुर्म की सज़ा तो दे सकता है, लेकिन किसी का चरित्र नहीं बदल सकता...यह तो अपने-अपने संस्कारों की बात होती है...इंसान के जैसे संस्कार होंगे, वो भी वैसा ही बनेगा...अच्छे संस्कार एक मां ही देती है... एक अच्छी बेटी ही एक अच्छी पत्नी साबित होती है...और एक अच्छी पत्नी ही एक अच्छी मां बनती है...लेकिन जो महिला ख़ुद ही किसी मासूम के क़त्ल की वजह हो, उसने अपने बच्चों को क्या संस्कार दिए होंगे कहने की ज़रूरत नहीं.
वो कहानी तो सुनी होगी, जिसमें राजकुमारी अपने राज्य में मेहमान के तौर पर आए राजकुमार के से साथ भाज जाना चाहती है...राजकुमार घोड़ा ख़रीदने जाता है...घोड़े वाले उसे घोड़े दिखाते हुए तेज़ दौड़ने वाली घोड़ी की क़ीमत बहुत कम बताता है. राजकुमार जब इसकी वजह पूछता है तो घोड़े वाला कहता है कि यह पानी देखकर रुक जाती है...इसी तरह इसकी मां और नानी भी पानी देखकर रुक जाया करती थी...यह सुनकर राजकुमार सोचता है कि आज राजकुमारी अपने पिता की गरिमा को धूल में मिलाकर मेरे साथ भाग जाना चाहती है...कल इसकी बेटी भी ऐसा ही करेगी...यह ख़्याल आते ही राजकुमार वापस अपने देश लौट जाता है...
उस महिला के शौहर और बच्चों पर क्या गुज़रती होगी...? तसव्वुर करके ही रूह कांप जाती है... क़ाबिले-गौर यह भी है कि यह सब "प्रेम-प्यार" के नाम पर होता है. जबकि ऐसे लोग प्रेम का मतलब तक नहीं जानते... 'वासना' को 'प्रेम' के आवरण से छुपाया नहीं जा सकता...प्यार तो राह दिखाता है, भटकाता नहीं है...मीडिया के लोग बख़ूबी जानते हैं कि हर रोज़ कितने ऐसे मामले आते हैं. यह मामले भी उस वक़्त सामने आते हैं, जब किसी न किसी का क़त्ल हो जाता है...
नाजायज़ रिश्तों को लेकर भारतीय समाज में पुरुषों पर तो सब अंगुलियां उठा देते हैं...मगर हवस की भूखी महिलाओं का क्या...? जिस देश में 'सीता-सावित्री' जैसी देवियां हुई हैं, उस देश में ऐसी महिलाओं की भी कमी नहीं जो अपने बेटे की उम्र के लड़कों के साथ अवैध संबंध रखती हैं...बेशर्मी की हद तो यह कि उन लड़कों से कहती हैं कि उनके लिए 'करवा चौथ' का व्रत रखा है...कभी सावित्री ने यह नहीं सोचा होगा कि इस 'पवित्र व्रत' के नाम पर इतना 'अधर्म' होगा...?
कहते हैं- वेश्याएं भी मजबूरी में अपना जिस्म बेचती हैं...लेकिन ऐसी महिलाओं को क्या कहेंगे, जो अपनी हवस में अंधी होकर अपने बेटे की उम्र के लड़कों के साथ अवैध संबंध बनाती हैं...?
हवस की भूखी जो महिला अपने बेटे की उम्र के लड़के के साथ नाजायज़ रिश्ता बनाती है, अगर वो अपने सगे बेटे से भी ऐसा रिश्ता बना ले तो हैरानी नहीं... ऐसे मामले भी सामने आए हैं, जब महिलाओं ने अपने ही सगे बेटों के साथ यौन संबंध बनाकर इंसानियत को शर्मसार किया है...
हवस की भूखी जो महिला अपने बेटे की उम्र के लड़के के साथ नाजायज़ रिश्ता बनाती है, अगर वो अपने सगे बेटे से भी ऐसा रिश्ता बना ले तो हैरानी नहीं... ऐसे मामले भी सामने आए हैं, जब महिलाओं ने अपने ही सगे बेटों के साथ यौन संबंध बनाकर इंसानियत को शर्मसार किया है...
पिछले साल जुलाई में अमेरिका के मिशिगन शहर में एक 36 वर्षीय महिला ने मां-बेटे के रिश्ते की सारी मर्यादा तोड़ते हुए अपने ही 14 साल बेटे के साथ यौन संबंध स्थापित किया. ये वो महिला है, जिसने अपने इसी बच्चे को दूसरों की झोली में डालने के प्रयास किए थे. अमेरिका की एक अदालत में जब एमी एल स्वॉर्ड नाम की इस महिला को पेश किया गया तो उसने अपना जुर्म स्वीकार किया. उसके वकील ने कोर्ट में कहा, कि जब दो साल पहले जब उसका बेटा 14 साल का था, वे अपने बेटे के संपर्क में आई तो उसे मां-बेटे के बजाय गर्लफ्रेंड-ब्वॉयफ्रेंड जैसा रिश्ता महसूस हुआ. आवेश में आकर उसने यौन संबंध स्थापित किए. यह घटना ग्रांड रैपिड होटल की है. उसके बाद कई बार घर पर भी उसने संबंध स्थापित किए. अदालत ने सभी दलीलें सुनते हुए इसे यौन उत्पीड़न का मामला क़रार देते हुए एमी को 30 साल की सज़ा सुनाई है. एमी शादीशुदा है और पांच बच्चों की मां भी है. इस बात का पता तब चला जब काउंसलर ने उसके बेटे से पूछताछ की.
पिछले साल अक्टूबर में सिडनी की एक अदालत में भी एक ऐसा ही शर्मसार कर देने वाला मामला सामने आया, जिसमें एक दंपत्ति पर साल 2009 में जनवरी से नवंबर के बीच में अपने बेटे यौन शोषण करने के आरोप लगे. दंपति पर बेटे से यौन संबंध का वीडियो बनाकर ऑनलाइन करने का भी आरोप लगा. अदालत में सुनवाई के दौरान 47 वर्षीय आस्ट्रेलियाई महिला और 57 वर्षीय उसके पति ने स्वीकार किया कि उन्होंने अपने बेटे के साथ यौन संबंध स्थापित किए हैं.
नाजायज़ रिश्ते कई ज़िन्दगियों की खुशियों को लील जाते हैं. सवाल यह भी है कि जो महिला अपने पति और बच्चों की न हुई तो उस लड़के कि क्या होगी.? जिस महिला को अपनी और अपने परिवार की मान-मर्यादा का ख़्याल नहीं तो वह किसी और की इज्ज़त का क्या ख़्याल करेगी?
नाजायज़ रिश्ते समाज के लिए नासूर हैं. जब तक ऐसे संबंध रहेंगे मासूमों की ज़िंदगियां, उनकी खुशियां तबाह होती रहेंगी. नाजायज़ रिश्तों की शुरुआत भले ही आकर्षण से हो, लेकिन इनका अंजाम बहुत ही घृणित होता है.
आओ दुआ करें कि ईश्वर हमारी बहन-बेटियों को, उनकी ज़िन्दगी को हवस के दरिन्दों (महिला हो या पुरुष) से बचाकर रखे... साथ ही यह भी दुआ करना कि उस दरिन्दे को उसके किए की सज़ा मिले...और हमारी सहेली की रूह को सुकून हासिल हो... आमीन
59 Comments:
बेहद तकलीफ़देह
अल्लाह दीदी की रूह को सुकून दे.
सब को अपनी सीमा रेखा बना कर रहना होगा पर नहीं होता तुम व्यथित हो कोई भी होगा बस लिखती रहो और समाज को आईना दिखाती रहो ।
कमीनेपन की हद होती है. कब वहशियों को सरेआम सूली पर चढ़ाया जायेगा..
फ़िरदौस साहिबा! आज आपकी पोस्ट पढ़कर आंखें नाम हो गईं.......
अल्लाह सबके हक़ में बेहतर करे और आपकी सहेली की रूह को सुकून हासिल हो......
हम आपके शुक्रगुज़ार हैं और आपसे दुआ की भी गुज़ारिश करते हैं
फिरदोस जी जो आपने लिखा है उससे तो दिल की आंखों से भी आंसु निकल जाये। और ऐसे लोग जो अपनी हवश की खातिर किसी की जान ले लेते हैं उनको सिधे गोली मार देनी चाहिए।
जिस मासुम ने अपनी पुरी जिंदगी उस कमिने के हाथ दे दी और उस हरामी ने ऐसा किया क्या करें..............
ऐसे लोगो के खिलाफ हमें एक जुट होकर कदम उठाना है।
firdaus bhagwan uski atma ko shanti de or apki tenssin bhi duur ho jaye
विभत्स और क्र्र मान्सिकताएं है यह्।
नाजायज सम्बन्धों की परिणति हमेशा दुखदायी होती है।
एक मासूम का खून करके और उसके घरवालों को अन्धेरे में धकेल कर ये लोग कभी सुख नहीं पा सकेंगें।
प्रणाम
hawas me nuksaan sadev ek masoom ka hota hai.jiski koi galti nhi hoti.
bahut hi kastkaari
ओह आँखें नम हो गयी। समाज मे दरिंदगी बढती ही जा रही है। आपकी सहेली को विनम्र श्रद्धाँजली।
आओ दुआ करें कि ईश्वर हमारी बहन-बेटियों को, उनकी ज़िन्दगी को हवस के दरिन्दों (महिला हो या पुरुष) से बचाकर रखे... साथ ही यह भी दुआ करना ही हमारी सहेली की रूह को सुकून हासिल हो... आमीन
Behat hi sharmnak ghatna....
chahe wo purush ho ya mahila, Control hona chahiye.... SEX PAR......
..........SEX BHI APRADH KO JANM DETI HAI...........
फ़िरदौस साहिबा! आप बहुत ही कोमल हृदय की स्वामिनी है, जो किसी का भी दुख देखकर पिघल जाता है. आज अपनी प्रिय लेखिका पर बहुत गर्व हो रहा है. अल्लाह से दुआ करते हैं कि आपको इस बेदर्द ज़माने से महफूज़ रखे. हमारी दुआएं हमेशा आपके साथ हैं. आमीन
अल्लाह आपकी सहेली की रूह भी सुकून अता करे. आमीन
ओह ..बहुत तकलीफदेह बात ...आपकी सहेली की आत्मा को शांति मिले ...
हवस का भूखा मर्द हो या औरत, दोनों ही समाज में बुराइयों को जनम देते हैं. यक़ीन मानिए न तो वो महिला कभी सुखी हो पायेगी और न ही वो लड़का हवस में अंधी औरत के कहने पर एक मासूम की जान ले ली. अल्लाह की फिटकार रहेगी दोनों पर. हम किसी को बद्दुआ नहीं देते, लेकिन आज ज़बान पर यह शब्द आ ही गए.
आओ दुआ करें कि ईश्वर हमारी बहन-बेटियों को, उनकी ज़िन्दगी को हवस के दरिन्दों (महिला हो या पुरुष) से बचाकर रखे... साथ ही यह भी दुआ करना ही हमारी सहेली की रूह को सुकून हासिल हो... आमीन
हमारी भी यह दुआ है
फिरदौस जी, आपकी सहेली की रूह को सुकून कैसे मिल सकती है जबतक कि उस कमीने लड़के उसके मां की उम्र की एक "आंटी" को सजा न मिले. ऎसा कुछ किजिये कि उस लडके और उसकी आंटी को हवालात का रास्ता दिखे, मरने पर तो नरक मे जायेगा ही, उसकी जिन्दगी भी नरक होनी चाहिये..
उफ़..बहुत तकलीफदेह ...आपकी सहेली की आत्मा को शांति मिले .
बहुत दुःख हुआ जानकर !
हर इंसान के अन्दर शैतान और भगवान होता है ....जो शैतानी शक्ति पे काबू नहीं रखता है वह पूरे समाज और देश को तबाह ही करता है ....दुःख की बात है की शैतानी शक्ति को आज मिडिया,सरकार तथा भ्रष्ट लोगों के गठजोड़ से पूरे देश और समाज में बढ़ाने का षड्यंत्र चल रहा है .......शरद पवार जैसे शैतान पूरे देश को भूखे मारने पर उतारू है तो मुकेश अम्बानी की शैतानी शक्तियाँ उसे 6000 करोड़ के घर में रहने के लिए देश और समाज से गद्दारी कर धन कमाने को प्रेरित कर रही है ......जिस व्यक्ति के अन्दर भगवान की शक्ति प्रबल है वो आज इन भ्रष्ट लोगों की वजह से दो वक्त की रोटी भी बरी मुश्किल से जुटा पाता है......करोड़पति बनना तो वह सोच भी नहीं सकता........शैतानी शक्ति के प्रबल होने तथा कुकर्म से धन कमाने से ही व्यभिचार का जन्म होता है....
आप बहुत खराब हो फ़िरदौस जी रुला दिया ना।
बहुत बुरा लगा पढ़कर. आपकी अंतिम लाईनों के लिए "आमीन"
बेहद शर्मनाक ....ऐसी इक्की-दुक्की बातें ही बाहर आ पाती है वरना ऐसी घटनाएं तो अब अपवाद भी नहीं रही. समाज ने अपने भद्दे चेहरे को कालीन के धुल की तरह काफी छुपा और दबा कर रखा हुआ है. कभी-कभार फिरदौस जैसी संवेदनशील पत्रकार की नज़र पर जाती है तो वो गंदगी आपके सामने आ जाता है. फ़िर तो कुछ समय के लिए सांस लेना भी दूभर हो जाता है...लेकिन किया क्या जाय...सबको सन्मति दे भगवान....!
पंकज झा.
नम आँखों से दुआ करती हूँ कि ईश्वर आपकी सहेली की आत्मा को शांति प्रदान करें..व ऐसे वहशीयों को उनके किए की सजा...
सौमित्र जी सहमत हूं, कि उस दरिंदे के साथ-साथ उस औरत को भी सज़ा मिलनी चाहिये जिसने उसे बहकाया है…, कुछ तरीका ऐसा होना चाहिये कि अप्रत्यक्ष तौर पर शामिल, "वो" को सबक सिखाया जा सके…
कुछ सालों पहले जब मैं सुरत में था, और एक निजी कंपनी में काम करता था। वहाँ के मालिकों के पाँच भाईयों में से एक का बिल्कुल यही तरीका था।
उसकी पत्नी एकदम सुशील और सीधी थी लेकिन भाई का मन एक अधेड़ महिला में लगा हुआ था। वह दिन भर उसी के घर पड़ा रहता। शर्मनाक बात तो यह थी कि उस अधेड़ महिला के पति को सब कुछ पता था।
एक दिन भाई ने अपनी पत्नी को नशे में खूब मारा पीटा, भाभी ने आत्महत्या करने की कोशिश की लेकिन बचा ली गई। लेकिन भाई नहीं सुधरे। आज आपकी पोस्ट पढ़ते समय सारी बाते याद आ गई।
आपकी सहेली की आत्मा की शान्ति के लिए प्रार्थना करता हूं, और उम्मीद करता हूं कि दोनों दोषियों को कड़ी सजा मिले।
सुरेश जी और सौमित्र जी से सहमत हैं. अप्रत्यक्ष रूप से शामिल यह महिला तो जिस्म बेचने वाली वेश्याओं से भी ज़्यादा घृणित हैं. वेश्यायें किसी का घर तो नहीं उजाड़तीं. ऐसी महिला समाज के लिए कौढ़ है. उसका मुँह काला करके, उसे गधे पर बिठाकर घुमाना चाहिए, ताकि दूरों को सबक़ मिले. आक थू ऐसी गंदी महिला पर.
सच. आपकी पोस्ट ने रुला दिया.
इस घटना की जितनी भी निंदा की जाए कम है । परंतु हमें सोचना चाहिए की समाज में इस तरह की घटनाएँ क्यों बढ़ रहीं हैं ? अच्छी तरह से सोच समझकर उन कारणों को जड़ से खत्म करने की ईमानदारी से कोशिश करनी चाहिए जिन कारणों से इस तरह की घटनाओं में वृद्दि हो रही हैं । अल्लाह आप की मरहूमा सहेली को जन्ऩत मे ऊँचा मुकाम अता करे ।
लड़के को और "वो" को कड़ी सज़ा मिलनी चाहिए.
हैरान हैं कि "वो" यानि उस महिला के पति और बच्चों पर क्या बीतती होगी ? कैसे पति इस "कुलटा" को सहन करता होगा? जो महिला अपने पति और अपने जवान बच्चों की नहीं हुई उस लड़के की क्या होगी ? आखिर उसने इस लड़के का भी जीवन बर्बाद कर ही दिया न? समाज को ऐसे मामलों से इबरत हासिल करनी चाहिए. औरत तो देवी होती है, लेकिन वासना में लिप्त यह प्रौढ़ा औरत के नाम पर कलंक है.
उस "वो" को "कुलटा" कहने के लिए क्षमा प्रार्थी नहीं हैं. उस लड़के का भी मुँह काला करके उसे भी गधे पर बिठाकर घुमाना चाहिए.
आप सबके तहे-दिल से शुक्रगुज़ार हैं...क़ानून किसी को उसके जुर्म की सज़ा तो दे सकता है, लेकिन किसी का चरित्र नहीं बदल सकता...यह तो अपने-अपने संस्कारों की बात होती है...इंसान के जैसे संस्कार होंगे, वो भी वैसा ही बनेगा...अच्छे संस्कार एक मां ही देती है... एक अच्छी बेटी ही एक अच्छी पत्नी साबित होती है...और एक अच्छी पत्नी ही एक अच्छी मां बनती है...लेकिन जो महिला ख़ुद ही किसी मासूम के क़त्ल की वजह हो, उसने अपने बच्चों को क्या संकर दिए होंगे कहने की ज़रूरत नहीं.
आप सबने वो कहानी तो सुनी होगी, जिसमें राजकुमारी अपने राज्य में मेहमान के तौर पर आए राजकुमार के से साथ भाज जाना चाहती है...राजकुमार घोड़ा ख़रीदने जाता है...घोड़े वाले उसे घोड़े दिखाते हुए तेज़ दौड़ने वाली घोड़ी की क़ीमत बहुत कम बताता है. राजकुमार जब इसकी वजह पूछता है तो घोड़े वाला कहता है कि यह पानी देखकर रुक जाती है...इसी तरह इसकी मां और नानी भी पानी देखकर रुक जाया करती थी...यह सुनकर राजकुमार सोचता है कि आज राजकुमारी अपने पिता की गरिमा को धूल में मिलाकर मेरे साथ भाग जाना चाहती है...कल इसकी बेटी भी ऐसा ही करेगी...यह ख़्याल आते ही राजकुमार वापस अपने देश लौट जाता है...
जावेद साहब आप सही कहते हैं कि उस महिला के शौहर और बच्चों पर क्या गुज़रती होगी...? तसव्वुर करके ही रूह कांप जाती है... क़ाबिले-गौर यह भी है कि यह सब "प्रेम-प्यार" के नाम पर होता है. जबकि ऐसे लोग प्रेम का मतलब तक नहीं जानते... 'वासना' को 'प्रेम' के आवरण से छुपाया नहीं जा सकता...प्यार तो राह दिखाता है, भटकाता नहीं है...मीडिया के लोग बख़ूबी जानते हैं कि हर रोज़ कितने ऐसे मामले आते हैं. यह मामले भी उस वक़्त सामने आते हैं, जब किसी न किसी का क़त्ल हो जाता है...
हर इंसान के अन्दर शैतान और भगवान होता है ....इस घटना की जितनी भी निंदा की जाए कम है
बेहद शर्मनाक, आखिर कहां जा रहा है समाज.
शर्मनाक और तकलीफदेह!
उस लड़के और आंटी को सजा मिले। साथ ही प्रार्थना है कि आपकी सहेली की आत्मा को शांति मिले। वाकई बहुत दु:ख हुआ पढ़कर...........
Dukhad.. unki rooh ko sakoon mile aur maa-baap ko insaaf..
फिरदौस जी वासना के इन कीड़ो को कठोर से कठोर सजा देनी चाहिए !अपनी हवस की आग बुझाने के लिए ये कुछ भी कर गुजरते है !इश्वर आपकी सहेली की आत्मा को शांति प्रदान करे !उनके परिवार को इस दुःख की घडी में दुःख सहने की छमता प्रदान करे !
रोज़ ही ऐसी ख़बरों से दोचार होना पड़ता है, हर जगह लगता है कि वो मैं भी हो सकती थी, मेरी जाननेवाली भी, मेरा कोई अपना भी। ये कभी खत्म हो सकता है....नहीं।
मार्मिक घटना।
अत्यन्त दुःखद घटना। ईश्वर ऐसे नराधमों को उनके कर्मों का फल दे।
बुढापे जब "वो" का यह हाल है तो जवानी में क्या रहा होगा. उसके पाती को अपने बच्चों का डीएनए टेस्ट करवा लेना चाहिए. कुछ अधिक हो गया हो तो क्षमा प्रार्थी हूँ
लोग ऐसा कैसे कर लेते हैं ? विवाह के समय पवित्र अग्नि को साक्षी मानकर पाती-पत्नी एक दूसरे को वचन देते हैं. फिर हवस की आग में सभी वचन स्वाह कर देते हैं. जिस देश में सती-सावित्री जैसी आदर्श महिलाएं हुई हैं. उस देश में ऐसी "कुलटा" आक थू.
अफ़सोस, इस तरह की दुष्कृत्य करने वाले विकृत मानसिकता के मनोरोगी व्यक्ति चाहे तो स्त्री हो या पुरुष की आज के सभ्य समाज में हर जगह मिल जाते है. ये वाकई शर्मनाक है.
इंसान के जैसे संस्कार होंगे, वो भी वैसा ही बनेगा...अच्छे संस्कार एक मां ही देती है... एक अच्छी बेटी ही एक अच्छी पत्नी साबित होती है...और एक अच्छी पत्नी ही एक अच्छी मां बनती है...लेकिन जो महिला ख़ुद ही किसी मासूम के क़त्ल की वजह हो, उसने अपने बच्चों को क्या संकर दिए होंगे कहने की ज़रूरत नहीं.is wakya se hame sikh leni chahie.aap ki saheli ki aatma ko shanti mile aur dosio ko saja.very dard nak katha.
क़ाबिले-गौर यह भी है कि यह सब "प्रेम-प्यार" के नाम पर होता है. जबकि ऐसे लोग प्रेम का मतलब तक नहीं जानते... 'वासना' को 'प्रेम' के आवरण से छुपाया नहीं जा सकता...प्यार तो राह दिखाता है, भटकाता नहीं है..
कितना सही कहा है..
पता नहीं क्या हो गया है इंसान को ...कहाँ जा रहा है समाज ..बेहद दुखद और शर्मनाक.
दिल से निकली बद दुआ कभी खाली नहीं जाती. वो लड़का और वो गंदी महिला कभी सुखी नहीं रहेंगे.
"उन दोनों" को ऐसी मौत मिलेगी कि पानी और कफ़न को भी तरसेंगे.
yh ek bahut hi gmmbhir prshn hai is pr bdi savdhani kee aavshykta hai
antha n len mera manna hai in vishyon ko jyada prchar prsar nhi dena chahiye kyonki drishy shrvy bahut hi takt vr madhym hai ya to hm use sja dilvane anjam tk phuncha kr prinam ko prcharit kren anytha dekha yh gya hai ki is ka kai bar viprit prbhav bhi pdta hai is pr koi karyshala ka aap aayojn kren jis me vichar kiya jaye ki aise mamlon se smaj kaise nibte
yh mhila nari jati ke man pr knlk hai ise rakshsi kahna hi jyada uchit hoga
फिरदौसजी
ऐसी घटनाएँ अब चौकाती नहीं हैं.आप और हम जानते हैं क़ि ऐसी ख़बरें अक्सर आती रहती हैं. यह सब आकाश मार्ग से उतरती अपसंस्कृति की देन है. इन्द्रिय जनित सुख को सब कुछ मानने की मानसिकता के कारण धीरे-धीरे मनुष्य और पशु के बीच का अंतर खत्म होता जा रहा है. "तन का काम अमृत है लेकिन मन का काम गरल है". हवस की भूख इन्सान को किस हद तक गिरा सकती है, ऐसी घटनाओ से स्पष्ट हो जाता है. दोष उस "आंटी" का ही नहीं, उस लड़के का भी है जिसने उस मासूम के विश्वाश को छला.
एक सवाल अक्सर दिल और दिमाग को हिला देता है क़ि आने वाली पीढ़ियों का क्या होगा. खैर, आपकी सहेली की आत्मा को शांति मिले. लड़के और "आंटी" को सजा मिलनी ही चाहिए. आइये दुआ करें क़ि अल्लाह सभी को बुराई क़ि राह से बचाए और नेक राह पर चलाये.
होता तो ये कई जगहों पर है बस चोरी छुपे, आपने तो बस समाज को आइना ही दिखाया है . उम्मीद है इस आईने पर अपना घिनौना चेहरा देखकर शायद ऐसे हैवानो को थोड़ी शर्म आएगी और व सही गलत में फर्क कर पायेंगे .
Rula diya Firdaus ji aapney.
फ़िरदौस ख़ान जी आप का लेख काबिले तारीफ है हम जानते है आप ने समाज को सच का आइना देखाया है !
लेकिन मोहतरमा गुलामो क़ि गई को भी जादती कम होती है
गुलाम उतना ही सोचता है जितना उसका दायरा होता है
महिलाए अनादी काल से पुरष वर्चस्व क़ि गुलाम है और गुलामी का आवरण हमें ऐसे घेरे रहता है जसे हवा हमें चरो तरफ से घेरे रहती है पर दिखती नहीं !
और गुलाम क्या खता करे गा ?
हमें मिल कर इस गुलामी को तोडना है महिला समाज को आत्म निर्भर और दिमागी स्वतंत्र बनाना है
जम महिलाए मॉल नहीं रह गए गी तो वासना का दायरा भी सिमट जाएगा
आइये हम मिल कर लड़े
मुझे लगता है ये एक सायकोलोजिकल मसला भी है...
और कायदे-कानून के बहार का भी...
वैसी परिस्थिति में पड़ने वाले आपराधिक मनोवृत्ति के होते हैं
और उनसे प्रताडित मासूम और बेगुनाह...मासूमों की लागिरी, लाचारी, असहायता और मजबूरी दिल दहलाने वाली होती है...पर शुकर है ये क़िस्से अभी तक अपवादित ही है...
तुमने ये सब लिखा है...
मुझे लगता है ऐसे मसले कानून तक पहुंचाने चाहिए...फिर उतनी जागरुकता और संवेदनाएं व निर्भिकता समाज में भी होनी चाहिए...
मुझे यहाँ जो असहाय और मासूम है उनकी ही ज्यादा फ़िक्र और
चिंता है...उनकी असहायता की जिन्हें दम घोंटकर या जहर दे कर मार
दिया जाता है, जबकि उनका कोई कसूर नहीं होता...या उन्हें मिलती है
गलत इन्सानों से प्यार या शादी करने की सजा... या फिर इसके अलावा उनके पास कोई चोईस ही न हो...
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