फ़िरदौस ख़ान
सियासत में तीन तरह के लोग हुआ करते हैं... पहले वो, जिन्हें सियासत विरासत में मिलती है... जिन्होंने सियासत में आने के लिए कोई जद्दो-जहद नहीं की... दूसरे वो, जो कार्यकर्ता बनकर आए और अपनी मेहनत और मह्त्वाकांक्षा से उन्होंने अपनी पहचान बनाई... और तीसरे वो लोग, जिन्होंने सारी ज़िन्दगी एक कार्यकर्ता की हैसियत से सियासत में गुज़ार दी... उन्हें न कोई ओहदा मिला, ना कोई नाम मिला और न ही कोई दाम मिला... इसके बावजूद वे अपनी पार्टी के लिए हमेशा वफ़ादार रहे... ऐसे ही लोगों के दम पर सियासी दल अपना वजूद क़ायम किए हुए हैं...
सियासत में तीन तरह के लोग हुआ करते हैं... पहले वो, जिन्हें सियासत विरासत में मिलती है... जिन्होंने सियासत में आने के लिए कोई जद्दो-जहद नहीं की... दूसरे वो, जो कार्यकर्ता बनकर आए और अपनी मेहनत और मह्त्वाकांक्षा से उन्होंने अपनी पहचान बनाई... और तीसरे वो लोग, जिन्होंने सारी ज़िन्दगी एक कार्यकर्ता की हैसियत से सियासत में गुज़ार दी... उन्हें न कोई ओहदा मिला, ना कोई नाम मिला और न ही कोई दाम मिला... इसके बावजूद वे अपनी पार्टी के लिए हमेशा वफ़ादार रहे... ऐसे ही लोगों के दम पर सियासी दल अपना वजूद क़ायम किए हुए हैं...
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