Tuesday, October 5, 2010

क्या मुसलमान महज़ ‘वोट बैंक’ हैं


बाबरी मस्जिद मामले में समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के बयान ने सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आख़िर मुसलमानों को महज़ ‘वोट बैंक’ ही क्यों समझा जाता है? मुसलमान भी इस मुल्क के बाशिंदे हैं… अगर मुलायम सिंह मुसलमानों के इतने बड़े ‘हितैषी’ हैं तो यह बताएं कि…उनके शासनकाल में उत्तर प्रदेश में कितने फ़ीसदी मुसलमानों को सरकारी नौकरियां दी गईं…? मुलायम सिंह आज मुसलमानों के लिए मगरमच्छी आंसू बहा रहे हैं…मुलायम सिंह को उस वक़्त मुसलमानों का ख़्याल क्यों नहीं आया, जब वो बाबरी मस्जिद की शहादत के लिए ज़िम्मेदार रहे कल्याण सिंह से हाथ मिला रहे थे…?

गौरतलब है कि मुलायम सिंह ने बाबरी मस्जिद मामले में अयोध्या मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि अयोध्या विवाद पर आए इलाहाबाद हाईकोर्ट के फ़ैसले से मुस्लिम ठगा सा महसूस कर रहे हैं…हालांकि कई मुस्लिम नेताओं ने मुलायम सिंह यादव के इस बयान की कड़ी निंदा करते हुए कहा है कि इस वक़्त इस तरह के सियासी बयान देकर माहौल को बिगाड़ने की कोशिश नहीं की जानी चाहिए…

कभी मुलायम सिंह के बेहद क़रीबी रहे अमर सिंह ने मुलायम सिंह पर टिप्पणी करते हुए अपने ब्लॉग पर लिखा है कि…अचरज तो तब होता है, जब अयोध्या में तोड़फोड़ मचाने वाले सरगना साक्षी महाराज को राज्यसभा में, विहिप के विष्णु हरि डालमिया के फरज़न्द संजय डालमिया को राज्यसभा में, कल्याण सिंह के साहबज़ादे राजवीर सिंह को अपने मंत्रिमंडल में और स्वयं कल्याण सिंह को सपा अधिवेशन में शिरकत कराने वाले ‘मौलाना मुलायम’ मुस्लिम वोटों के लिए तौहीने-अदालत करते नज़र आते हैं. अमर सिंह का भी कहना है कि अयोध्या फ़ैसले के बाद दूरदर्शन देखते हुए एक बात अच्छी देखी. लालकृष्ण आडवाणी, मोहन भागवत, नरेंद्र मोदी, जफरयाब जिलानीजी और सुन्नी वक्फ बोर्ड के हाशिम अंसारी के बयान में चैन, अमन और शांति का माहौल बनाए रखने की बात दिखी. अमर सिंह ने कहा कि पहली बार बाबरी के मसले पर मुकदमा लड़ने वाले दोनों पक्षों ने कोई भड़काऊ बयान न देकर सियासतदाओं की उम्मीदों पर पानी फेर दिया.

अगर सपा जैसे तथाकथित सेकुलर सियासी दल मुसलमानों के इतने बड़े ‘हितैषी’ हैं तो आज़ादी के क़रीब छह दशक बाद मुसलमानों की हालत इतनी बदतर क्यों हो गई कि उनकी स्थिति का पता लगाने के लिए सरकार को सच्चर जैसी समितियों का गठन करना पड़ा…? क़ाबिले-गौर है कि भारत में मुसलमानों की आर्थिक, सामाजिक और शैक्षिक स्थिति का अध्ययन करने के लिए नियुक्त की गई सच्चर समिति ने 17 नवंबर 2007 को जारी अपनी रिपोर्ट में कहा कि देश में मुसलमानों की आर्थिक, सामाजिक और शिक्षा की स्थिति अन्य समुदायों की तुलना में काफ़ी ख़राब है…समिति ने मुसलमानों ही स्थिति में सुधार के लिए शिक्षा और आर्थिक क्षेत्रों में विशेष कार्यक्रम चलाए जाने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया था. प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने अक्टूबर 2005 में न्यायधीश राजिंदर सच्चर के नेतृत्व में यह समिति बनाई थी.

सात सदस्यीय सच्चर समिति ने देश के कई राज्यों में सरकारी और ग़ैर सरकारी संस्थानों से मिली जानकारी के आधार पर बनाई अपनी रिपोर्ट में देश में मुसलमानों की काफ़ी चिंताजनक तस्वीर पेश की थी… रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि देश में मुस्लिम समुदाय आर्थिक, सामाजिक और शिक्षा के क्षेत्र में अन्य समुदायों के मुक़ाबले बेहद पिछड़ा हुआ है. इस समुदाय के पास शिक्षा के अवसरों की कमी है, सरकारी और निजी उद्दोगों में भी उसकी आबादी के मुक़ाबले उसका प्रतिनिधित्व काफ़ी कम है.

अब सवाल यह है कि मुसलमानों की इस हालत के लिए कौन ज़िम्मेदार है…? क्योंकि आज़ादी के बाद से अब तक अमूमन देश की सत्ता तथाकथित सेकुलर दलों के हाथों में ही रही है…
-फ़िरदौस ख़ान 

7 Comments:

M VERMA said...

मुलायम की मुलायमियत पर न जाइए. शातिर शतरंजी चाल चलते हैं.

प्रवीण पाण्डेय said...

समझने वाले और उन्हे समझने देने वाले, दोनों दोषी हैं।

कविता रावत said...

वोटों की राजनीति आम जनता के लिए एक बहुत बड़ी मुसीबत है.. ..आपसी भेदभाव की राजनितिक स्वार्थभरी चालों को दरकिनार करते हुए जनता को आपसी सौहार्दपूर्ण वातावरण बनाये रखने के लिए सकारात्मक प्रयास करते रहने की जरुरत है, जिससे देश में अमन चैन कायम रहे और देश की तरक्की की राह आसान हों...

शूरवीर रावत said...

किसी भी परिवार या किसी भी समाज के पिछड़ेपन का मुख्य कारण है अशिक्षा और जनसख्या वृद्धि. जिस भी परिवार या समाज में इन दोनों बातों की अनदेखी की गयी वह पिछड़ गया. कोई परिवार या समाज अनदेखी करने के बावजूद भी ऊपर उठ जाय ऐसे अपवाद कम ही दिखाई देते हैं.

बी एन शर्मा said...

यह बात सौ फीसदी सच है कि मुलायम जैसे लोग मुसलमानों के हितैषी नहीं दुश्मन हैं .और उन्हें सिर्फ मुसलमानों के वोट दिखाते है .लेकिन इसके लिए खुद मुसलमान ही जिम्मेदार हैं ,उन्हें दोस्त दुश्मन का अबतक पता नहीं है .हमने कई बार इस विषय पर लिखा है .फिरदौस जी ने फिर से लोगों को सचेत कर दिया .शायद मुस्लिम -हिन्दू दोनों कुछ सबक सीखें .

काशिफ़ आरिफ़/Kashif Arif said...

मुस्लमानों की इस हालत के सिर्फ़ मुस्लमान ही ज़िम्मेदार है और कोई नही..।

मुसलमान ने इस्लाम को पुरी तरह छॊड दिया है...ना वो हदीस पर अमल कर रहा है और ना कुरआन पर...अमल कर रहा है तो सिर्फ़ मुल्लाओं की बातों पर....

ना उसके पार दीन की तालीम है और ना दुनिया की

तो इस हाल में हर कोई उसका इस्तेमाल ही करेगा और क्या...और हमेशा से उसका इस्तेमाल ही हो रहा है.....
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"हमारा हिन्दुस्तान"

"इस्लाम और कुरआन"

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Bharat yogi said...

BAHUT GAMBHIR CHINTAN KIYA AAP NE,,,

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